Electrician ko current kyu nahi lagta hai

 नमस्कार दोस्तों, आज हम इस आर्टिकल में ऐसी काम की जानकारी जानने वाले हैं जो इलेक्ट्रिक का काम सीखने वालों के लिए बहुत आवश्यक है। बहुत से लोगों का यह सवाल होता है कि जो लोग इलेक्ट्रिक के मिस्त्री होते हैं उनको इलेक्ट्रिक / करंट क्यों नहीं मारता है या करंट क्यों नहीं लगता है , क्योंकि हमने देखा होगा कि इलेक्ट्रिक के मिस्त्री उन नंगे तारों को




 पकड़कर बड़ी सरलता से उनको जोड़ते हैं जिनमें करंट आ रहा होता है। हमने यह भी नोटिस(ध्यान दिया) होगा कि चालू तारों (Wirs)  को जोड़ते या पकड़ते समय उनको कोई डर भी नहीं लगता है । दरअसल उन्हें पूरा विश्वास होता है कि उन्हें ऐसा करने से करंट नहीं मारेगा/लगेगा , इसीलिए मिस्त्री निडर होकर अपना काम करते हैं। 

आपसे विनम्र निवेदन👏 है कि आप पूरा आर्टिकल पढ़े क्योंकि अंत तक हमने स्पष्टीकरण किया है जिसे समझने के बाद डाउट बहुत कम हो जायेगा। 


  यहाँ पर आपको यह जानने की उत्सुकता जाग रही होगी कि बिजली के मिस्त्री को कौन - सी जानकारी या ज्ञान पता होता है जिससे वो ऐसा कर पाते हैं। चलिए जानते हैं >> 



इलेक्ट्रीसियन को करंट इसलिए नहीं मारता है 

      बिजली मिस्त्री को करंट इसलिए नहीं मारता / लगता है क्योंकि वे लोग अपनी शरीर को पृथ्वी से सीधे संपर्क नहीं होने देते हैं बल्कि अपने शरीर और पृथ्वी के बीच कोई कूचालक जैसे - सूखा प्लास्टिक, सुखा कागज, सूखा जूता ,सूखी लकड़ी का मेज, कुर्सी जो भी हो सूखा ही रहता है। यही कारण है कि उन्हें करंट नहीं मारता या नहीं लगता है । 

       इसके बाद भी एक और सावधानी है जिसे बिजली मिस्त्री हमेशा अपनाते हैं। बिजली मिस्त्री फेस (फेज़) और न्यूट्रल दोनों के नंगे ( छिले हुए) तारों एक साथ कभी नहीं पड़ते हैं (जब लाईन चालू हो) । 



नोट : <<   बिजली का छोटा या बड़ा कोई भी काम हो चालू लाईन के दौरान फेस और न्यूट्रल के नंगे तारों को एकसाथ कभी भी नहीं पड़ना चाहिए चाहे आप हवा में ही क्यों न हो आपको करंट लगने से कोई नहीं बचा पायेगा। इस परिस्थिति में कोई भी हो चाहे मिस्त्री हो या हेल्फर उसकी जान बचने की संभावना बहुत कम होती है। >>



  अब आपके मन में यह सवाल आ सकता है कि चलो हमने मान लिया जो उपर लिखा गया है वो सही है पर इस जानकारी पर हमें पूर्ण विश्वास हो ऐसा कोई एक उदाहरण तो होना ही चाहिए जिसे हर कोई आसानी से समझ सके और पूरे विश्वास के साथ इस जानकारी को ग्रहण कर सके। यही एक चीज ऐसी है जो हमारे आर्टिकल को एकदम पारदर्शी बनाती है, तो आईए जानते हैं >>


   उदाहरण (Example)

       हमने कुछ ऐसे उदाहरणों को यहाँ पर शामिल किया है जो बहुत हद तक समझना आसान हो जायेगा। 

उदाहरण न. 1. पानी से भरे गिलास का उदाहरण 
  अगर हम प्लास्टिक के गिलास में पानी ऐसे भरें कि थोड़ा - सा खाली रहे इसके आगे चलिए अब शुरू करते हैं >>



पानी से भरे गिलास पर हमने पाँच बिन्दु या प्वाइंट A, B, C, D और E बनायें हैं। इन सभी बिन्दुओं की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं -

  1. E बिन्दु पर   अगर अगर हमने एक होल या छेद कर दिया तो यहाँ से सारा पानी गिलास से बाहर चला जायेगा। क्योंकि यह छेद सबसे निचे है और पानी हमेशा निचे की तरफ ही जाता है। तो यहाँ पानी निकलने के लिए सबसे आसान रास्ता है ।
  2. C बिंदु पर - अगर यहाँ पर कोई छेद कर दें तो यहाँ भी पानी तेजी से निकलेगा पर E वाले बिन्दु से थोड़ा कम होगा और इस परिस्थिति में कुछ न कुछ पानी बचेगा क्योंकि पूरे पानी का फोकस यहाँ नहीं है ।
  3. B बिन्दु पर - अगर यहाँ पर भी लगभग उतना ही छेद कर दे जितना कि हमने E और C बिंदु किया तो B बिंदु पर पानी C  बिंदु से कम प्रेशर से निकलेगा। 
  4. ठीक इसी तरह अगर हम A बिंदु पर भी छेद कर दें तो यहाँ पर पानी नाममात्र के लिए बहेगा अथवा कुछ बूँदे बहने के बाद रुक जायेगा। 
  5.  अगर D बिंदु की बात की जाए तो यहाँ पर तो पहले से ही खुला है पर तब भी कोई पानी नहीं निकल सकता है इस परिस्थिति में, क्योंकि पानी हमेशा निचे जाता है ऊपर नहीं। 




 स्पष्टीकरण ( Explanation )
    जिस प्रकार पानी ऊपर से निचे की तरफ जाता है ठीक उसी प्रकार से करंट भी ऊँचे विभव से कम या निचे विभव की तरफ ही जाता है। इस तरह से हम यह मान लेते हैं कि पानी ही करंट है तो E वाले बिन्दु पर पानी की तरह इसमें भी सबसे आसान रास्ता E ही है क्योंकि हम जानतें हैं कि पृथ्वी यानी अर्थ का विभव सबसे कम ( शून्य = 0 )होता है। इसीलिए अधिक विभव वाला आवेश कम विभव या शून्य विभव वाली दशा प्राप्त करना चाहता है। इसी लिए धारा बहती है। 
  इसे समझने के लिए हमें एक सरल उदाहरण लेना होगा -

जब हम किसी गेंद को ऊपर की तरफ फेंकते हैं तो उसमे कुछ गती आ जाती है जिसके चलते गेंद उपर - निचे गति करने लगता है और धिरे - धिरे उसकी गति शून्य की तरफ बढ़ने लगती है। 





हम जानते हैं कि जब गेंद उस ऊँचाई पर पहुँच जाती है जहाँ से ऊपर जा पाना उसके लिए ( उस उँचाई पर जहाँ से गेंद निचे मुड़ने लगती है)   संभव नहीं होता है तो उस समय गेंद की गतिज ऊर्जा शून्य होती है और उस समय अगर हमारा हाथ भी लगभग उसी उँचाई पर हो और रुका हो तो हमें कोई झटका( धक्का)  नहीं लगेगा (D वाली पोजीशन पर )। लेकिन अगर हम गेंद को एकदम निचे से छूए तो उपर से आती हुई गेंद हमारे हाथ पे जोर का धक्का या झटका देगा ( E  वाले बिन्दु पर) । जब गेंद पृथ्वी पर जाकर रुक जाती है तब उसे छूने पर कोई झटका नहीं लगता है। जैसे बिना करंट के तार को छूने से कोई झटका नहीं मारता है। 

दूसरा तरिका - जब किसी भी स्रोत से धन आवेश आता है और उसे पृथ्वी से जोड़ दिया जाये तो पृथ्वी के ऋणावेश, स्रोत से आने वाले सभी धनावेशों को अपनी तरफ तेजी से खींच लेते हैं, ये कार्य ठीक उसी तरीके से होता है जैसे कोई शक्तिशाली चूम्बक किसी लोहे के टुकड़े को अपनी तरफ खींच लेता है।





 इसमें भी एक विशेष बात यह है कि अगर चुम्बक से बड़ा लोहा है तो लोहा अपनी ही जगह रहेगा और चुम्बक लोहे की तरफ खींचा चला आयेगा। ठीक इसी तरह से पृथ्वी की आवेश ग्रहण करने की क्षमता अनंत मानी जाती है यानी कि पृथ्वी में अनंत ऋणावेश हैं इसलिए किसी भी बड़े - बड़े स्रोत से आने वाले सभी धनावेशों अपनी तरफ आसानी से खींच लेती है। 
इसीलिए पृथ्वी से सीधेतौर पर लाईट के मिस्त्री टच नहीं होते हैं ।

उम्मीद है आपको यह जानकारी पुरी तरह से समझ में आ गई होगी। आगर कोई भी सवाल हो तो कमेंट जरुर करें ।
धन्यवाद -by: www.possibilityplus.in/

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