माँ को भगवान से भी ऊँचा स्थान क्यों दिया गया है ? Why is mother given a higher position than God?

माँ [ Mother] 


 क्या हम जानते हैं कि माँ - बाप को भगवान से भी ऊँचा स्थान क्यों दिया गया है ? अगर आप जानते हैं तो यकीन मानीय आप बहुत कुछ पा सकते हैं जो बहुत लोग सोच भी नहीं सकते हैं। दूसरी बात, क्या हम जानते हैं कि माँ का नाम बाप से पहले क्यों आता है ? 

चलिए जानते हैं। 

दरअसल माँ ही वह देवी है जो - 

  • अपने बच्चे को नौ महीने तक कोख में पालती है। 
  • बच्चे को जन्म देते समय अपार दु:ख को सहती है। 
  • अपने बच्चे को ही अपनी दूनियाँ मानती है। 
  • एक आदर्श माँ अपने बच्चों के लिए अपना सबकुछ कुर्बान करने को हमेशा तैयार रहती है। 
  • अपने बच्चों में भेदभाव नहीं रखती है यानी सभी को बराबर मानती है। 
  • जब सारी दूनियाँ हमारे खिलाफ जहर ऊगलती है तब भी माँ ही अपने ममता को बरसाती रहती है। 
  • दूनियाँ में अगर सबसे ज्यादा आपकी चिंता कोई करता है तो वह माँ है। 
  • माँ के प्यार को आँका नहीं जा सकता है क्योंकि इसकी कोई हद नहीं है। 
  • बच्चों को थोड़ा सा कष्ट हो जाए तो माँ के आँसू छलक जाते हैं। 
  • जब पिता फटकारते हैं तो बच्चों को माँ का आँचल ही सम्हालता है। 




नोट :

यह आर्टिकल सिर्फ माँ की महानता पर बेस्ड है पर इसका मतलब यह भी नहीं है कि पिता कुछ नहीं होता । सबका अपना अलग - अलग स्थान होता है। अगर आप चाहते हैं कि पिता के बारे में हम लिखें तो हमें कमेंट करें धन्यवाद।


माँ - बाप को भगवान से भी ऊँचा स्थान क्यों दिया गया है ? 

     इस बात को जानने के लिए हमें इन सवालों को देखना होगा जो इस प्रकार हैं - 
  1. हमारी हर गलतियों को कौन माफ कर देता है ?
  2. हमें नौ महिने कोख में कौन पालता है ? 
  3. हमारी खुशी के लिए कौन अपनी जान नेवछावर करता है ? 
  4. हमें हर परिस्थिति में कौन चाहता है ? 
  5. हमारे नखरे कौन उठाता है ? 

इन सभी प्रश्नों का उत्तर " माँ" है। यही वजह है कि माँ को भगवान से भी ऊँचा स्थान दिया जाता है। यही नहीं बल्कि पिता से भी पहले माँ का नाम आता है। इसीलिए " माता-पिता" लिखा जाता है " पिता - माता " नहीं। 

माँ की महानता

माँ की महानता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अगर इस बात का जिक्र किया जाए कि "महान" शब्द किसके लिए सबसे ज्यादा सूट करता है तो हमारे ख्याल से " माँ" से बड़ा दावेदार कोई दूसरा नहीं हो सकता है अथवा सबसे पहले नम्बर पर माँ का नाम आना चाहिए। पर यह बात तभी लागू होगी जब एक आदर्श माँ हो यानी माँ होना ही काफी नहीं होता है, माँ के आदर्श भी होने चाहिए। दरअसल हर वस्तु की कुछ न कुछ होने की शर्ते होती हैं।।


माँ का प्यार ( mother's love )

  दुनियाँ में माँ का प्यार ही ऐसा है कि जो अपने बच्चे की धन दौलत देखकर नहीं होता। इसलिए सबसे पवित्र रिस्तों में माँ और बच्चे का होता है। दरअसल माँ अपने बच्चों से इतना प्यार करती है कि उसे अपने बच्चों की गलती भी नहीं दिखाई देती है। माँ का प्यार किसी मौसम की तरह नहीं होता है जो बदलता रहें। माँ का प्यार वह सच्चाई है जो कभी बदलती नहीं है।

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