पहले से ही सबकुछ लिखा होता है
हमनें कभी न कभी किसी के मुँह से यह कहते हुए सुना ही होगा कि " सब लिखा होता है " यानी कोई भी घटना बिना लिखित नहीं होती है। साधारण शब्दों में कहें कि इस दुनियाँ में छोटे से छोटा काम ही क्यों न हो वो सभी लिखा है जिसे हम सोच भी नहीं सकते हैं वो सब लिखा है। यहां पर कुछ विशेष सवाल खड़े हो रहे हैं जिनका समाधान करना ही इस आर्टिकल का मुख्य उद्देश्य है -
- बहुत से लोग यह पूछ सकते हैं कि जब सबकुछ लिखा ही होता है तो भला पाप - पुण्य या दोष आदि बातें कैसे मनुष्य पर लगते हैं ?
- तब तो मनुष्य का किसी भी गलत काम में कोई दोष नहीं होना चाहिए।
- बहुत से लोग कहते हैं कि सबकुछ लिखा है तो भला हम क्या कर सकते हैं।
इन तीनों सवालों का समाधान इस आर्टिकल में सविस्तार से बताया गया है। अगर कोई ऐसी बातें करता है कि यह सब तो लिखा है तो " हम क्या कर सकते हैं " तो यह या तो अपने बचाव में या किसी को सांत्वना देने के लिए कहा जाता है जबकि हकीकत यह है कि हम कुछ और बेहतर कर सकते थे या कर सकते हैं क्योंकि हमारे पास बहुत सारी संभावनाएं होती हैं किसी काम को करने के लिए।
यह पढ़ने के बाद आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि हर चीज भला कै..से 🤔 लिखी हो सकती है।
यह आर्टिकल हमारे जीवन में ऐसी बहुत सारी भ्रांतियों को दूर करने के लिए है जिससे हमें जाने - अंजाने में कितना बड़ा नुकसान होता है। ये सब बातें आर्टिकल को पुरा पढ़ने के बाद ही आपको पता चलेगी। इसमें हम सभी सवालों पर से पर्दा उठाने जा रहे हैं जो बहुत आवश्यक है हमारे जीवन में आगे बढ़ने के लिए, तो चलिए ध्यानपूर्वक पढ़ते हैं।
कैसे सबकुछ लिखा होता है ?
हम इसके फायदे और नुकसान की बात करें उससे पहले हमें इसके बारे में यह जान लेना बहुत जरुरी है कि क्यों, कैसे सबकुछ जो.. भी होता है वह सब लिखित होता है। इसको जानने के लिए हम कुछ उदाहरणों की मदत लेगें।
उदाहरण न. 1 »
मनुष्य की कुन्डली
आपने कुंडली के बारे में सुना ही होगा जो उस व्यक्ति के पूरे जीवन का सार ( सारांश ) बताती है जो केवल मुख्य - मुख्य अथवा बड़ी - बड़ी घटनाओं के बारे में हमें जानकारी देती है। कुंडली हमें किसी भी व्यक्ति की सम्पूर्ण जानकारी दे सकती पर यह तभी संभव है जब किसी भी एक व्यक्ति की हर प्रकार की घटनाओं को लिखा जाऐ पर इसे लिखना और पढ़ना उतना ही कठिन होगा जितना कि आसमान के तारों को गिनना।
दरअसल हमारे जीवन में अनगिनत प्रकार की संभावनाएं होती हैं किसी भी काम को करने या फिर ना करने की। इस बात को अच्छे से समझने के लिए हम सिर्फ संख्या 1(एक) की बात करें कि इसे कितने टुकड़े किये जा सकते हैं तो हमारे पास इसका जवाब इस बात पर निर्भर करता है 1 के कितने बड़े टुकड़े किये जा रहे हैं अगर हम 0.5 की दर से 1 को बाँटे तो इसके दो भाग होगें। पर अगर इसको 0 की दर से टुकड़ों में बाँटा जाए तो इसके इतने टुकड़े होगें कि जिसका कोई सटीक हिसाब लगाना आज की आधुनिक से आधुनिक तकनीक विधि से भी पता लगाना बहुत मुश्किल है। तो कहने का मतलब यह है कि सिर्फ किसी एक वस्तु या व्यक्ति की सम्पूर्ण जानकारी कि कब, क्या, कैसे होगा यह सब पुरी तरह लिखना असभंव है।
यहाँ पर ध्यान देने वाली बात यह है कि यह सब जितनी भी बातें हैं सब पहले से ही तय या लिखी हुई पर कौन सी बात या घटना घटित होगी यह हमारे ऊपर है। जिस घटना के होने की ज्यादा संभावना होती है उसी घटना को कुंडली में लिखा या शामिल किया जाता है। और जिस घटना के होने की संभावना बहुत कम होती है उसे छोड़ दिया जाता है।
यही कारण है कि जब कुछ लोग अपनी कड़ी मेहनत से कुंडली में लिखे हुए से अलग कर दे देते हैं तो सब यही कहते हैं इसने तो ब्रम्हा के लिखे को भी बदल दिया है यह कारनामा करके। तो ऐसा कुछ नहीं है क्योंकि जो भी बड़ा या छोटा कारनामा हम सब करते हैं वो सब लिखित है पर सबकी अलग - अलग संभावनाएं। हमने अभी ऊपर पढ़ा है कि किसी भी कुंडली में सिर्फ उसी घटना को ही लिखा जाता है जिसके होने की संभावना अधिक से अधिक होती है और जिस घटना के होने की बहुत कम संभावना होती है उसे निष्क्रिय समझ कर कुंडली में नहीं लिखा जाता है जबकि असल बात यह है कि वह भी लिखित है कि यह भी हो सकता है। और यह सभ हमारे प्रयास या अभ्यास पर निर्भर करता है।
उदाहरण न. 2»
रास्तों का चुनाव करना
मान लिजिए हम कहीं पर जा रहे हैं और हमें तीन रास्ते या मोड मिल रहे हैं जिसमे एक बहुत आसान दूसरा थोड़ा सा मुश्किल और तिसरा बहुत ही मुश्किल या कठिन है तो हममे से अधिकांश लोग पहले वाले रास्ते को ही चुनेेंगे क्योंकि वह सबसे आसान है। यहाँ पर थोड़ा सा ध्यान देने की जरुरत है कि जो तीन रास्ते हैं वो लिखित संभव परिस्थितियाँ है और हम तीनों से होकर जा सकते हैं। जिसका मतलब यह है कि हम जो कर रहे हैं या जो हो रहा है सिर्फ वही चीज नहीं लिखी है बल्कि जो हम नहीं करते हैं या नहीं करना चाहते या फिर जिसके बारे में नहीं जानते हैैं वो सब लिखा है, बस फर्क या अंतर यह है कि सबकी परिस्थितियाँ अलग - अलग हैं क्योंकि कुछ काम सरल तो कुछ कठीन हैं । अगर हम ज्यादा मेहनत और सच्ची लगन से काम करेंगे तो हमें उसके हिसाब से फल मिलेगा और अगर हम उसी काम को बहुत कम मेहनत या कम सच्ची लगन से करेंगे तो हमें उसके हिसाब से ही फल मिलेगा। इसी बात को कर्म कहते हैं और कर्म ही हमारे लिए सफलता की सीढ़ी है।
उदाहरण न. 3»
किताब ( Book )
हम जानते हैं कि किताब में हर प्रकार की जानकारीओं का समावेश किया जा सकता है। हम जानते हैं कि दुनियाँ की कोई ऐसी किताब नहीं हो सकती है जो किसी भी विषय को पुरी तरह से कवर करती हो ( अथवा हर संभव प्रकार के प्रश्न ) । कहने का मतलब क्या है चलिए इसे समझते हैं, माना हमें विज्ञान की एक किताब लिखना है और हर प्रकार के प्रश्नों को इसमें शामिल करना है तो क्या ऐसा संभव है ? तो इसका जवाब है "नहीं " क्योंकि हम जानते हैं कि हम अनंत प्रकार के सवाल बना सकते हैं तो भला अनंत प्रकार के सवालों को किसी एक किताब में लिख पाना कैसेे संभव है। यही कारण है कि कुछ विद्यार्थियों की यह शिकायत होती है कि परिक्षा में जो प्रश्र आया था वह किताब में से नहीं था बल्कि कहीं और आया था।
तो यहाँ पर भी ध्यान देने वाली बात यह है कि जो प्रश्न किताब में नहीं शामिल किया गया था वह भी परिक्षा मेें आ सकता है या आता ही है क्योंकि वह प्रश्न भी संभव है और अपनेआप में एक अलग शर्त पर आधारित है। इस बात से यह पता चलता है कि हर प्रश्न भले ही किताब में शामिल नही किया गया हो पर लिखित है कि येे - ये प्रश्न बन सकते हैं और परिक्षा में आ सकते हैं। तो देखा आपने सबकुछ लिखित है पर उसमें से क्या - क्या होगा और क्या नहीं यह हमारी किस्मत और प्रयास या किसी और कारण पर निर्भर करता है।
उदाहरण न. 4»
सूर्य का उदय या अस्त होना
यहाँ पर सूर्य का उदय या अस्त होना पहले से ही तय ( लिखित ) है कि फला समय में सूर्यास्त या सूर्योदय होगा। इसके अलावा हमें यह कब दिखाई देगा या न दिखाई देगा यह सब जितनी बातें हैं सब कुछ लिखीं हैं पर बात यह है कि हमें सिर्फ इसी बात की अच्छे से जानकारी है कि सूर्योदय और सूर्यास्त कब होगा। इसके अलावा हमें इन सभी बातों जैसे - कब धूप, छांव, बारिस इत्यादि होगी इसकी सटीक जानकारी नहीं हो पाती है, होती है तो थोड़ी मोड़ी ही जानकारी हो पाती है जो काफी उपयोगी नहीं होती है। दरअसल मौसम की सटीक ( ठीक-ठीक) जानकारी प्राप्त करना बहुत कठीन होता है क्योंकि इसमें कोई एक कारण शामिल नहीं है बल्कि अनेकों कारण हैं जो मौसम को प्रभावित करते रहते हैं जैसे हवा को तापमान, बादल, पेड़ - पैधे इत्यादि तो प्रभावित करते ही हैं पर इसके अलावा मानवीय क्रियाओं से भी हवा अथवा मौसम प्रभावित होती है। जैसे - कोई बड़ा विस्फोट करना, कोई हवा उत्पन्न करने का साधन ( जैसे - कोई बड़ा और तेज गति वाला जहाज का चलना )
तो कुल मिलाकर कहें जो सभी संभव परिस्थितियाँ हैं उसी में में से सब कुछ होता है कोई अलग से नहीं।
उदाहरण न. 4»
सचिन तेंदुलकर,अमिताभ बच्चन के कामों में तुलना
सचिन तेंदुलकर और अमिताभ बच्चन के नाम को कौन नहीं जानता है। अगर नहीं जानते हैं या फिर जानते हैं तो भी हमें यहाँ पर बताना ही पड़ेगा। हम जानते हैं कि अमिताभ बच्चन अपने समय के सुपर स्टार हिरो ( अभिनेता ) थे और आज भी इनका नाम चर्चा में रहता ही है। इसके बाद सचिन तेंदुलकर की बात की जाऐ तो इन्हें हर क्रिकेट प्रेमी जानता है तो ये किसी नाम के मोहताज नहीं हैं। अब आते हैं मेन मुद्दे पर अगर सचिन तेंदुलकर से ऐक्टिंग करने को कहा जाए तो शायद ज्यादा देर तक ना कर पायेंगे और अमिताभ बच्चन जितनी नहीं कर सकते हैं। पर इसका मतलब यह नहीं है कि ये ऐक्टिंग नहीं कर सकते हैं क्योंकि ऐक्टिंग करना भी सचिन तेंदुलकर के लिए संभव परिस्थितियों में से एक है। इसे हम रास्ते वाले उदाहरण से भली भांति समझ सकते हैं। जैसा कि हमने ऊपर पढ़ा था कि अगर किसी रास्ते पर तीन मोड़ हो जिसमे पहला सबसे सरल, दूसरा इससे कठीन और तिसरा सबसे कठीन है तो अधिकांश लोग पहला रास्ता ही चुनेंगे। क्योंकि वह इस रास्ते पर आसानी से चलके जा सकते हैं। यहाँ पर एक बात छूट रही है जिसे हमें जरुर पढ़ना चाहिए। और वह यह है कि कुछ लोग तिसरा रास्ता भी तो चुन सकते हैं, तो क्या होगा ? तब इसमें दो बातें हो सकती हैं -
- बिना मनके कठीन रास्ते का चुनाव करना।
- पुरे मन के साथ कठीन रास्ते का चुनाव करना।
यहाँ पर शायद ही एक्टिंग सचिन तेंदुलकर के आसान होगी क्योंकि उनका पसंदीदा काम तो क्रिकेट है जिसे हम पहला रास्ता कह सकते हैं और शायद ऐक्टिंग करना उनके लिए दूसरे रास्ते जैसा होगा क्योंकि हमने कुछ प्रचार में भी उन्हें देखा है और उनके लिए तिसरा रास्ता फुटबाल हो सकता है क्योंकि इस खेल में शायद इनकी रुची ना या फिर कोई अन्य काम जो उन्हें ना पसंद हो पर अगर बहुत जरूरी हो तो कुछ न कुछ तो प्रयास करने पर कर ही लेगें। इसी तरह अगर अमिताभ बच्चन को क्रिकेट खेलने को कहा जाये तो सचिन तेंदुलकर जैसा नहीं खेल पायेंगे क्योंकि यह काम इनके लिए तिसरे रास्ते पर चलने जैसा हो सकता है। पर इसका मतलब यह कतई नहीं है कि बच्चन जी तनिक भी नहीं खेल सकते हैं। इसी तरह अगर हम इन दोनों लोगों ( सचिन और अमिताभ ) के अनेकों कामों पर नजर डाले तो हमें यह मिलेगा कि जिस काम में इनका कोई इंट्रेस्ट ना भी हो तब भी कुछ न कुछ कर सकते हैं पर बात यह है कि ये ऐसा नहीं करेगें क्योंकि उन्हें इसकी जरुरत ही नहीं है। लेकिन अगर किसी वजह से ऐसा करना पड़े तो करेगें। यहाँ पर थोड़ा सा ध्यान दिजिए कि हर काम को करने या होने के लिए एक निश्चित कंडिशन है।
तो देखा आपने अनगिनत प्रकार की संभावनाएं हैं जो कंडिशन के साथ होती है जो लिखित है पर जरूरी नहीं है कि हम या आप उसे करें। तो हर प्रकार का कार्य चाहे कुछ भी हो वह सब लिखित है।
इसकी अज्ञानता से नुकसान और फायदा
अक्सर हम लोग बातों - बातों मे ही कभी न कभी यह बात कहते ही होंगे कि यह सब शायद लिखा था तभी तो ऐसा हो गया। पर यहाँ पर थोड़ा सा रूक जाईए और ध्यान दीजिये कि जैसे ऐसा लग रहा है कि हम जो भी कर रहे हैं वो या जो हो रहा है उसमें हमारी कोई भूमिका नहीं है पर ऐसा नहीं है। और यहीं पर बहुत लोग धोखा खा जाते हैं और यह मानने लगते हैं कि हमारी कोई गलती नहीं है क्योंकि सब कुछ तो लिखा ही है तो भला हमारा दोष कैसे हो सकता है। इस बात से हम अपनी ज्ञानता ही नहीं बल्कि अपनी किस्मत और जिंदगी को बर्बाद करने का काम कर देते हैं क्योंकि हम जो भी( सफलता, नाकामी इत्यादि) पा रहे हैं उसे हम लिखा कहके अपनी ज़िम्मेदारी से मुँह मोड़ने का काम कर रहे हैं और कुछ नहीं। अब आपके दिमाग में यह बात आ सकती है कि अभी तो हम पढ़ें हैं कि " सब कुछ लिखा है " तब भला हमारा किसी काम में क्या भूमिका या दोष है ?
दरअसल हम यह सोचते हैं कि चलो यार जब सबकुछ लिखा ही हो रहा है तो इसमें चिंता करने की क्या बात है। इस तरह हम अपने आगे बढ़ने की (Possibility) संभावना को कम कर देते हैं। आज हम जो भी कर रहे हैं उससे लाखों-करोड़ों गुना ही नहीं इससे भी बेहतर कर सकते हैं क्योंकि हर प्रकार के काम को करने की अपनी अलग - अलग शर्तें होती हैं। जिस काम के होने की संभावना बहुत कम है उस काम को करने के लिए बहुत अधिक प्रयास और समय के साथ-साथ और भी बहुत सी बातें जरुरी होती हैं।
निष्कर्ष »
ऊपर पढ़ने के बाद हमें यह पता चलता है कि जो अनगिनत काम लिखित हैं उसी में से कोई काम अवश्य ही होगा चाहे वह बुरा हो या अच्छा। इस तरह हमारी जिन्दगी के हर कदम पर अनेकों अनगिनत रास्ते या मोड़ होते हैं बस हमें यह तय करना है हमें किस रास्ते पर आगे बढ़ना है, हम जिस भी रास्ते पर चलेंगे तो हमें उसकी शभी शर्तों को पुरा करना होगा । जैसे हमें धनी बनने के लिये जो भी काम करना होता है करना ही पड़ेगा।। हम जानते हैं कि हर काम आसान नहीं होता है उसी तरह हर काम कठीन भी नहीं होता जो जितना कठीन होगा उसके होने की संभावना उतनी ही कम होगी। कुछ काम इतने कठीन होते हैं कि उसे हम लोग असंभव भी कहने लगते हैं जैसे मरकर जिंदा होना, हमेशा खुश रहना, हमेशा जवान रहना इत्यादि। ये संभावनाएं चाहे जितनी कम ही क्यों न हो पर ऐसा होना जरुर संभव होता है पर बहुत सारी शर्तो के साथ। तो कुल मिलाकर देखा जाए तो हर प्रकार का काम हो सकता है जो हमारे जिवन में है पर सभके लिए एक विशेष शर्त होती है। हम जानते हैं कि हमारे जिवन में अनगिनत कार्य हैं जिसे कोई भी नहीं कर सकता है। दरअसल हम कुछ ही सीमित काम को कर पाते हैं। दरअसल बहुत सारे काम तो ऐसे हैं कि जो एकदम बेतुके हैं तो ऐसे काम को भला कोई क्यों करे। पर वह सब एक शर्त के रुप में लिखा है। तभी तो आप अगर चाहे तो उसे कर सकते हैं। तो कुल मिलाकर देखा जाए तो हर प्रकार का काम जो होता है और जो नहीं हो पाता है वो सब पहले से ही लिखा है।
हमने यह सीखा
इस पोस्ट से हमने यह सीखा कि हमें हार नहीं मानना है क्योंकि हम जानते हैं हर प्रकार का कार्य हम कर सकते हैं बस फर्क है तो सरल और कठिन का। हम यह भी जान चुके हैं कि हम जो कर रहे हैं या जो हो रहा है उससे भी बेहतर कर सकते हैं। अगर हम आज असफल हैं तो इसका मतलब यह नहीं है हम आगे भी सफल नहीं हो सकते हैं, बिल्कुल हो सकते हैं और यह सब हमारे प्रयासों पर निर्भर करता है। तो बेहतर से बेहतर करिए और खुश रहिए। हमारी यही कामना है।
आपको यह जानकारी कैसे लगी हमें जरुर बताएँ और अगर इससे संबंधित कोई भी सवाल या कोई सुझाव है तो अभी कमेंट बॉक्स में लिखकर पुछ सकते हैं। हम जल्द से जल्द उत्तर देने का प्रयास करेंगे।
धन्यवाद by : Possibilityplus
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