ㄑ नोट : हमें किसी भी जानकारी पर तभी विश्वास करना चाहिए, जब हमें ऐसे तर्कसंगत उदाहरण मिले जो हमें यह विश्वास दिलाता हो कि जानकारी सही है या नहीं जिसका " www.possibilityplus.in " के लगभग हर आर्टिकल में विशेष ध्यान दिया जाता है। >
वैज्ञानिकों का मानना है कि प्रकाश दोहरी प्रकृति का गुण रखता है »
- तरंग और
- कण प्रकृति
इस तरह यहां पर कुछ ऐसे विशेष सवाल खड़े हो रहें हैं जिनके बारे में जानना बहुत आवश्यक है। ये सवाल कुछ इस तरह हैं »
- ऐसा क्यों होता है ?
- इसकी मुख्य वजह क्या है ?
ऐसा क्यों होता है ?
दरअसल हम जानते हैं कि जब कोई वस्तु तेज गति से चलती है तो उसके चारों ओर हवा ( या वायुमंडलीय ) कण में गतिज ऊर्जा उत्पन्न हो जाती है और इसके द्वारा हवा में उसी तरह की तरंग की उत्पत्ति होती है। चुँकि सूर्य से फोटान प्रकाश के रूप में एक स्थान से दूसरे स्थान तक 3लाख किलोमीटर /सेकेंड से चलता है इसिलिये फोटान कणों की तीव्र गति से एक तरंग उत्पत्ति होती है ( जो फोटाॅन के चारो ओर होती है ) जिसकी सहायता से विवर्तन, व्यतिकरण, धुर्वण इत्यादि घटनाओं की व्याख्या तरंग सिद्धांत से समझने में मदद मिलती है।
शायद इसी कारण से वैज्ञानिक यह मानते हैं कि प्रकाश में दोहरी ( कण और तरंग ) प्रकृति होती।
शायद इसी कारण से वैज्ञानिक यह मानते हैं कि प्रकाश में दोहरी ( कण और तरंग ) प्रकृति होती।
इस बात को हम आसानी से इस तरह से समझ सकते हैं कि जब कोई गाड़ी चलती है तो उसके पिछे - पिछे एक हवा भी उतनी ही गति चलने लगती है जितनी गति से गाड़ी चलती है।
इसकी मूल वजह ये है
प्रकाश के कणों में मूल प्रकृति कण की है ना कि तरंग की। हम यह आसानी से समझ सकते हैं कि प्रकाश के फोटान कण द्वारा एक तरंग उत्पन्न होती है।जिससे यह साफ है कि प्रकाश की दोहरी प्रकृति में कण प्रकृति मूल है।
इसके बहुत सारे उदाहरण हमको देखने को मिल जायेगें। इन्हीं में से कुछ चुनिंदा उदाहरण हम देखने जा रहे हैं।
प्रकाश में मूल कण की प्रकृति के होने के निम्नलिखित कारण हैं -
- सूर्य की ऊर्जा लगातार क्षय हो रही है।
- प्रकाश विधुत तरंगो के रूप में सिर्फ चलता है ना कि तरंग है।
- प्रकाश के कणों का स्थानांतरण होता है।
- प्रकाश को स्थानांतरित होने के लिए माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है। जबकि तरंग को किसी माध्यम की आवश्यकता होती ही है।
- प्रकाशीय फोटाॅन में विधुत ऊर्जा होती है जिसके कारण विधुत चुम्बकीय तंरगें उत्पन्न होती है।
- प्रकाशकीय कण की गति के कारण इसके चारों ओर तरंग की उत्पत्ति हो जाती है।
प्रकाश के माध्यम से सूर्य की ऊर्जा लगातार क्षय हो रही है और इसी कारण से सूर्य हमें लगभग अरबों वर्षों तक ऊर्जा देता रहेगा। जिसका सीधा मतलब है कि जो ऊर्जा प्रकाश के रूप में निकलती है और इसके चारों तरफ उसका क्षय होता रहता है।
लेखक का आग्रह
क्या आपको हमारे द्वारा दी गई संभावनाएंँ सही लग रही हैं या नहीं आपके कमेंट का हम उत्तर देने की समुचित कोशिश करेंगे। धन्यवाद..
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