samantar sredi,s questions ko solve karna.

समान्तर श्रेणी को कैसे हल करना होता है, इसे पुरी तरह से सीखने और समझने के लिए इसकी आधारभूत यानी बेसिक जानकारीओं को जानने की आवश्यकता होगी।

चलिए हम इसे ऐसे समझते हैं कि ये टाॅपिक ज्यादा बोरिंग न लगे । चलिए सबसे पहले हम यह जानतें कि समान्तर श्रेणी में समान्तर का क्या अर्थ होता है।


समान्तर का अर्थ या मतलब

  वह अन्तर जो समान हो उसे समान्तर कहते हैं क्योंकि अगर हम समान्तर का सन्धि - विच्छेद करें तो हमें यही मिलेगा।

समान्तर = समान + अन्तर

अतः समान्तर श्रेणी में समान्तर का अर्थ यह है कि किसी निश्चित श्रेणी के लिए बराबर का यानी एकही अन्तर होगा।
अब जानते हैं श्रेणी क्या होती है - 

  श्रेणी का अर्थ  

  कोई ऐसा क्रम जो एक निश्चित नियम के अनुसार काम करता है और उस क्रम के कारण जो अनुक्रम बनता है उसे ही श्रेणी कहते हैं। 
जैसे -   1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9,... इत्यादि। ये संखाएँ एक निश्चित क्रम में बढ़ रही है और इन सभी के बीच समान अन्तर भी है, अतः यह एक समान्तर श्रेणी है। 


समान अन्तर या सार्वअन्तर कैसे पता करते हैं ? 

     1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9,..इसमें या किसी भी समान्तर श्रेणी में अन्तर कैसे पता करते हैं ये बहुत आसान है। अन्तर निकालने के लिए दूसरे से पहले, तिसरे से दूसरे को, चौथे से तिसरे ( इसी तरह से किसी भी ) को भी घटा सकते हैं और घटाने पर अगर सबका अन्तर एकसमान आता है तो ऐसी श्रेणी, समान्तरश्रेणी कहलायेगी। 
उदाहरण के तौर पर  अगर इस 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9,..
श्रेणी में एकदूसरे में अंतर निकाले तो देखते हैं। 


2-1 = 1
3-2 = 1
4-3 = 1
5-4 = 1  इत्यादि सभी का अन्तर एकसमान ( 1 = एक ) है। अतः यह एक समान्तर श्रेणी है। 


समान्तर श्रेणी का nवाँ पद 

   1, 3, 5, 7, 9..इस श्रेणी में हम देख रहे हैं पहला पद 1, दूसरा पद 3, तिसरा पद 5, चौथा पद 7 और पाँचवा 9 है, और अगर इस श्रेणी को आगे बढ़ाया जाये तो छठवाँ पद 11, सातवाँ पद 13 इत्यादि पद होगें। अगर हमें इस श्रेणी का चौथाा पद पता करना है तो यहाँ पर हम आसानी से इस श्रेणी को देखते ही कह सकते हैं कि चौथा पद 9 है, और अगर हमसे यह कोई पूछे कि इस या किसी और श्रेणी पचासवाँ पद बताईए तो हम बिना हल करे नहीं बताा सकते हैं अगर बतायेेंग तो भी बहुत अधिक समय लगेेगा जिससे कोई फाायद नहीं होगा। अगर हम सूत्र की मदत लें तो सेकेंडो में ऐसा कर सकते हैं तो चलिए देखते हैं। 


 nवाँ पद = a + ( n-1) d

 इस सूत्र से हम किसी भी समान्तर श्रेणी का कोई भी पद पता या ज्ञात कर सकते हैं।  जैसे माना हमें  1, 3, 5, 7, 9..इस श्रेणी पाँचवाँ पद पता करना है तो हम a, n और d का मान पता करना होता है। जहाँ 

a = प्रथम या पहला पद 

n = पदों की संख्या 

d = पदों का अंतर या पदान्तर 

तो a = 1, 
n = 5
तथा d = 3-1 = 2
तब पाँचवाँ पद = a + ( n-1) d 
                        = 1 + ( 5 - 1) 2 = 1 + 4×2

                        = 9.

अतः पाँचवाँ पद 9 है। इसी तरह अगर हमें इसी श्रेणी का 100वाँ पद ज्ञात करना है तब देखिए। 

100वाँ पद = 1 + ( 100 - 1)2 = 1 + 99×2

                = 1 + 198 = 199


अतः इस श्रेणी का 100वाँ पद 199 है। 

तो देखा आपने कितने कम समय में हमने 100वाँ पद पता कर लिया। इसी तरह से हम किसी भी समान्तर श्रेणी का लाखवाँ, करोडवाँ या इससे भी अधिक पदों का मान पता कर सकते हैं। चलिए इस 1,10, 19, 28,...श्रेेणी का करोडवाँ पद ज्ञात करके देखते हैं। 

इस श्रेणी का पहला पद ( a ) = 1

पदों की संख्या ( n ) = 10000000 ( एक करोड़ )

तथा पदों का अतंर ( d ) =  10 - 1 = 9

तब करोडवाँ पद = 1 + ( 10000000 - 1) 9

                         = 1 + 9999999×9 

                         = 1+ 89999991= 89999992


अतः करोडवें पद का मान  आठ करोड़ निन्नानबे लाख निन्नानबे हजार नौ सौ बानबे हैं। 

तो देखा आपने कितने कम समय में इतने बड़े मान का पता लगा लिया गया जिसको श्रेणी में हम लिख भी नहीं सकते हैं क्योंकि इसको श्रेणीबद्ध करने के लिए समय ही नहीं काफी स्थान लगेगा। 



 nवाँ पद का सूत्र कैसे बनाएं 

      इस  1, 3, 5, 7, 9.. श्रेणी को थोड़ा सा ध्यान से देखो। इसमें पहला पद 1, दूसरा पद 3, तिसरा पद 5, चौथा पद 7 और पाँचवाँ पद 9 है। समान्तर श्रेणी में पहला पद मुख्य होता है क्योंकि इसी से हम सभी पदों को प्राप्त करते हैं। 

तब पहला पद a = 1 और सार्अन्तर d = 3-1 = 2
दूसरा = a + d
तिसरा पद = a + d + d = a + 2d
चौथा पद = a + d + d + d = a + 3d
पाँचवाँ पद = a + d + d + d + d = a + 4d
इसी प्रकार nवाँ पद = a + ( n-1) d


         अगर आपके मन में यह सवाल उठ रहा है कि nवाँ पद में ये ( n-1) कैसे या कहाँ से आया तो थोड़ा सा ध्यान दीजिये। जैसा कि हम ऊपर के उदाहरण में देख रहे हैं पहले पद में एक भी d नहीं है दूसरे दूसरे पद में एक d, तिसरे में 2d, चौथे में 3d, पाँचवे में 4d इसी प्रकार जितने भी पद का मान पता करना हो तो बस उससे एक कम किया जाता है पद की संख्या में से। 

इसलिए nवाँ पद = a + ( n-1) d

उदाहरण के तौर पर इस 1, 3, 5, 7, 9..श्रेणीक्रम का दूसरा पद = a + (n-1)d = 1 + ( 2-1) 2 = 3,   [ a=1, d=2 ]

 तिसरा पद = a + (n-1)d = 1 + ( 3-1) 2 = 1 + 4 = 5
चोथे पद का मान = 1 + ( 4-1) 2 = 7
इसी प्रकार से किसी भी पद का किसी भी समान्तर श्रेणी में मान पता किया जा सकता है क्योंकि यह सूत्र [ a + (n-1)d]  व्यापक है मतलब किसी भी पद को पता करने के लिए है। 
 

समान्तर श्रेणी के पदों का योगफल 

    2, 4, 6, 8, 10..अगर हम कहें कि इसश्रेणीका पाँच पदों तक का योग क्या होगा तो इसके लिए हम इन सभी पदों को जोड़ना होगा तब, = 2 + 4 + 6 + 8 + 10 = 30
इस तरिके में हमनें क्या देखा ? 
इसमें हमने देखा कि सभी पदों को लिखकर जोड़ना होता है। जो कम या सीमित पदों को जोड़ने के लिए तो सही है पर अधिक पदों को जोड़ने पर अधिक समय लगेगा। तो चलिए सूत्र को देखते जो मिनटों का काम सेकेडों में करेगा। 

 सूत्र   s = (n/2) [ 2a + (n-1)d ] 


यह समान्तर श्रेणी का योगफल का सूत्र है जिससे किसी भी समान्तर श्रेणी का योगफल आसानी से पता कर सकते हैं। 

जैसे 2 + 4 + 6 + 8 + 10 इसका योग पता करते हैं।
S =?, a = 2, n = 5, d = 4-2 =2
S = (5/2) [ 2×2 + ( 5-1) 2] = ( 5/2)[ 4+8]
   = (5×12)/2 = 60/2 = 30
तो देखा आपने कैसे निकल आया पाँच पदों तक का योग। अगर इसी श्रेणी के 100 पदों तक का योग करना हो तो चलिए देखते हैं।

100 पदों का योग = (100/2)[ 2×2 + (100-1) 2]

                             = 50[4 + 99×2] = 50[ 4+ 198]

                            = 50×202 = 10100.


योगफल वाला सूत्र कैसे निकालें ?

  ये श्रेणी देखिए ➝ 1+2+3+4+5+6+7+8+9+10 चुँकि यह एक समान्तर श्रेणी है। अगर हम इसे थोड़ा सा ध्यान से देखें तो हमें यह बहुत आसानी से समझ आ जाएगा। इस श्रेणी का अन्तिम पद 10 और पहला पद 1 है। चुँकि पदों की संख्या सम या बराबर है तब हम दी हुई श्रेणी को इस तरह से लिख सकते हैं ➝  (1+10) + (2+9) + ( 3+8) + ( 4+7) + ( 5+6) = 11 + 11 + 11 + 11 + 11 = 11×5 = 55

इस तरह हम देख रहे हैं कि इसमें पदों की संख्या 10 से 5 में बदल जा रही है। या हम यह कह सकते हैं कि पदों की संख्या पहले की आधी रह जाती है जिसे हम व्यापक रुप में n/2 लिख सकते हैं। इसके बाद जितने पदों का योग निकालना है तो nवाँ पद + a कर लेंगे ।यानी सूत्र कुल मिलाकर इस तरह से बनेगा  ➡️  n/2[ 2a + (n-1)d ]

चुँकि हम यह देख रहे हैं कि 11 दसवें और पहले पद का योग है और 5 पदों की संख्या का आधा है।

अगर पदों की संख्या बराबर नहीं है तो बराबर कर लेते हैं जैसे ➡️1+2+3+4+5+6+7+8+9 इस श्रेणी का नौ पदों का योग कैसे निकालेंगे। इसमे 0 जोड़कर पदों की संख्या बराबर कर लेते हैं। तब श्रेणी 0+1+2+3+4+5+6+7+8+9

तब (9+0) + (8+1) + ( 7+2) + (6+3) + (5+4)

या 9+9+9+9+9 = 9×5 = 45

इस विधि में पदान्तर की आवश्यकता बस समान्तर श्रेणी है कि नहीं यह पता करने के लिए किया जाता है योग करने के लिए नहीं। यह विधि तभी उपयोग में लायी जाती है जब पहला और अन्तिम पद पता हो और सूत्र के लिए अन्तिम पद नहीं भी पता हो तो भी हल किया जा सकता है। इसीलिए सूत्र का उपयोग किया जाता है।



अनंत पदों का योग 

1+2+3+4+5+6+7+8+..अनंत पदों तक श्रेणी का 
    सूत्र S = n/2 [ 2a + (n-1 )d] से
     पदों की संख्या n = ∞
प्रथम पद (a ) = 1
सार्वान्तर (d ) = 1
अनंत पदों का तक योग S = ?
S = (∞/2) [ 2×1 + ( ∞ - 1)1] =  (∞/2) [ 1+ ∞ ] 
   = 3∞/2= 1.5∞ 

तो देखा आपने अनंत पदो का 1.5∞ (डेढ़ अनंत) आया है। अब यहाँ अनंत का मान क्या है यह पता नहीं है तो इसे ऐसे ही छोड़ना पड़ेगा। 


    यहाँ पर ध्यान देने वाली बात यह है कि अनंत की भी श्रेणियाँ होती हैं। तभी तो यह 1.5∞ आया है अगर ऐसा नहीं होता तो यह मान दशमलव में नहीं आता। 

  ये आर्टिकल आपकी कितनी मदत करता है हमें जरूर बतायें। धन्यवाद  by : Possibilityplus.in


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