- क्या प्रकाश को रोका जा सकता है ?
- क्या प्रकाश की चाल बदलती है ?
- प्रकाश कितने रंगों से मिलकर बना है ?
- प्रकाश की चाल की कितनी होती है ?
ऊष्मा संचरण की तीन विधियाँ होती हैं -
- चालन
- संवहन
- विकिरण
क्या हम जाानते हैं कि इन तीनों विधियों में वह कौन - सी मुुख्य वजह है जिसका होना अनिवार्य है। इसका मतलब यह है कि बिना इसके ऊष्मीय ऊर्जा का संचार होना संभव नहीं है। तापान्तर ही वह मुख्य वजह है जिसके कारण ऊष्मा का संंचार या आदान-प्रदान होता है।
यह पोस्ट ज्ञान की दृष्टि से बड़ा महत्वपूर्ण है। सबसे पहले हम ऊपर दी गई तीनों विधियों की पुरी जानकारी ले लेते हैं।
परिभाषाएँ
चालन ( Conduction )
यदि किसी वस्तु में एक स्थान का ताप 🔥 अधिक और उसी वस्तु के दूसरे स्थान का ताप 🔥 कम है तो अधिक ताप वाले कण के नजदीक कम ताप वाले कण की तरफ ऊष्मीय ऊर्जा प्रवाहित या संचरित होती है।
संवहन ( Convection )
किसी तरल पदार्थों ( द्रव और गैस ) में यदि किसी स्थान का ताप अधिक हो तो घनत्व में कमी हो जाने से तरल ऊपर उठता है और कम ताप ( अधिक घनत्व ) का तरल उसका स्थान ले लेता है। यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक कि सम्पूर्ण तरल एक ही ताप पर न हो जाए। इस क्रिया में तरल पदार्थ के कण स्वयं स्थानांतरित होकर ऊष्मा का संचरण करते हैं।
विकिरण (Radiation)
अधिक ताप की वस्तुओं से कम ताप की वस्तुओं को विधुत - चुम्बकीय तरंगों के रूप में ऊष्मा स्थानांतरित होती है। इन विकिरणों की प्रकृति प्रकाश की प्रकृति से मिलती - जुलती है। इन्हें अवरक्त विकिरण भी कहते हैं। इनके संचरण के लिए किसी पदार्थ माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है।उदाहरण : जैसे सूर्य से पृथ्वी तक ऊष्मा, ऊष्मीय विकिरण द्वारा ही पहुँचती है।
पर विकिरण ऊष्मा संचरण का एक ऐसा तरीका है जो वातावरण में मौजूद अतिसूक्ष्म कणों के द्वारा संचरित होती है। अब आप शायद यह सोच रहे होंगे कि विकिरण के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है तो माध्यम और कण कहाँ से आ गया। चुँकि हमने पोस्ट के शुरूआत में यह पढ़ा था कि ऊष्मा संचरण के लिए तापान्तर की आवश्यकता अनिवार्य होता है। जिसके लिए कोई भी माध्यम तो चाहिए ही जो ऊष्मा को एक स्थान से दूसरे स्थान तक लेकर जाये। वायुमंडल ( हवा ) ऐसे ना जाने कितने ही कण हैं जो हमें दिखाई भी नहीं देतेे हैैं।
जैसे : हमारी आवाज 🔉 भी वातावरण में मौजूद शूक्ष्म कणों द्वारा ही होती है, मोबाइल का सिग्नल भी वायु मे उपस्थित कणों द्वारा ही होती है । चलिए कुुछ रोचक और मजेदार जानकारियाँ देखते हैं, जो हमें किताबों में भी शायद ही पढ़ने को मिले।
प्रकाश को कैसे रोकें ?
How to stop the light ?
सूर्य ही नहीं बल्कि किसी भी वस्तु के प्रकाश को रोका या मोड़ा जा सकता है।
सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी 14 करोड़ 50 लाख किलोमीटर है। अब क्या यह possibility( संभावना ) है कि बिना किसी माध्यम के प्रकाशीय ऊर्जा पृथ्वी तक पहुंच सके। हमने ऊपर 👆 पढ़ा है कि ऊष्मीय ऊर्जा बिना अन्तर के एक स्थान से दूसरे स्थान तक नहीं पहुंच सकती है। इसलिए प्रकाश को सूर्य से पृथ्वी तक आने में या जाने के लिए इनके ( सूर्य और पृथ्वी ) बीच ऊष्मीय ऊर्जा में अन्तर अनिवार्य है, परन्तु ऐसा नहीं है क्योंकि प्रकाश ऊष्मा संचरण का वह प्राथमिक तरिका है जो रंगों के आधार पर इसकी गति निर्धारित होती है । दरअसल प्रकाश के रंग और ऊष्मा में गहरा संबंध होता है। जैसा रंग वैसी ऊष्मा होती है। इन सातों प्रकाशीय रंगों में सबसे कम ऊष्मा लाल रंग की और सबसे ज्यादा ऊष्मा बैगनी रंग की होती है। यही कारण है कि ये सभी सातों प्रकाशीय रंग लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला और बैगनी को इस क्रम में रखा या लिखा जाता है।
इस तरह श्वेत (सफेद) प्रकाश की ऊष्मा इन सभी सातों रंगों से अधिक होती है या इन सभी के योग के लगभग बराबर होती है। क्योंकि हम जाानते हैं कि इन सातों प्रकाशीय रंगों से मिलकर ही श्वेत प्रकाश बना है।
दरअसल ऊष्मा को प्रकाशीय रंगों में परिवर्तित होने का गुण है। इसी कारण से सूर्य की ऊष्मा बीच में कहीं क्षय नहीं होती है और इसकी चाल तीव्र ( 3 × 108 मीटर / सेेकंड ) होती है।इसका मतलब यह कि अगर सूर्य के प्रकाश (श्वेत प्रकाश) को रोकना है तो हमें इसके मार्ग में कोई श्वेत (सफेद) वस्तु रखें तो प्रकाश रुक जायेगा जी हाँ रुकेगा ही नहीं बल्कि वापिस चला जायेगा । प्रकाश के वापिस जाने की दिशा वस्तु पर प्रकाशीय कोण पर निर्भर करता है। या अगर सूर्य के प्रकाश के मार्ग में सूूर्य के जितना सफेद प्रकाश ठीक उसके सीध में फोकस करेें तो सूर्य का प्रकाश आगे नहीं बढ़ सकता है। अगर प्रकाश के पथ में कोई काले रंग की वस्तु को रखें तो प्रकाश की प्रकाशीय गति और ऊष्मीय ऊर्जा वस्तु में ऊष्मा में परिवर्तित हो जाती है ।
पारदर्शी या रंगहीन माध्यम में प्रकाश की चाल
पारदर्शी माध्यम में प्रकाश की चाल लगभग समान होती है। ऐसा क्यों होता है ?
हमने ऊपर पढ़ा है कि प्रकाश का संचरण रंगों पर आधारित है। इसलिए जब प्रकाश किसी पारदर्शी या रंगहीन वस्तुओं / माध्यमों में से होकर गुजरता है तो वह वस्तु या माध्यम गर्म नहीं होता है। और हमें वस्तु के आरपार दिखाई देता है।
वस्तुओं के रंग (Color of objects)
किसी वस्तु के रंग की जानकारी प्रकाशीय ऊर्जा या प्रकाशीय रंग के परावर्तन से पता चलता है। वस्तु जिस रंग की होती है ठीक उसी रंग के प्रकाश को परावर्तित करती ( वापिस भेजती ) है और बाकि सभी रंगों को अवशोषित ( रोक या ग्रहण कर ) लेती है। और यही परावर्तित रंग हमारी आँखों में पड़ता है तो हमें उस रंग की जानकारी मिल जाती है।ऊष्मा और प्रकाश में निम्नलिखित अंतर सामने आते हैैं -
- सूर्य के प्रकाश और ऊष्मा के मार्ग में यदि कोई इससे अधिक ऊष्मीय ऊर्जा हो तो सूर्य का प्रकाश इससे होकर जा सकता है, पर ऊष्मा नहीं जा सकती है।
- प्रकाश के संचरण लिए ऊष्मीय अन्तर नहीं बल्कि रंग का अंतर जरूर है जबकि ऊष्मा संचरण के लिए ऊष्मा में अन्तर होना चाहिए।
- विकिरण ऊष्मीय ऊर्जा की चाल प्रकाश की चाल 3 × 108 मीटर / सेेकंड के बराबर है।
- प्रकाश की चाल ठंडे या अधिक घनत्व वाले माध्यम में कम होती है ( जैसे : जल में ) जबकि ऊष्मा की चाल ठंडे माध्यम में अधिक और गर्म माध्यम में कम होती है।
व्यवहारिक जीवन में उपयोग।
Use in practical life.
- रात्री या अन्धेरे में मोबाइल या टीवी देखते समय हमें कोई लाईट या बल्ब 💡 जलाकर रखना चाहिए जिससे कि मोबाइल या टीवी से निकलने वाली रोशनी आँखों में ना लगे।
- रात्री को सोते समय भी कोई ( हल्का ) उजाला जरूर रहने दें जिससे शरीर की ऊष्मीय ऊर्जा बनी रहे ( ठंडी के मौसम में ) ।
- रात्री में सोते समय यदि लाईट को बंद करें तो गर्मी थोड़ी कम लगती है।
अगर हम रात के अंधेरे या दिन में भी किसी अंधेरे में मोबाइल का इस्तेमाल अधिक से अधिक करते हैं तो मोबाइल की स्क्रिन से निकलने वाला प्रकाश आपकी आंखों पर लोड डालेगा और इसमें उपस्थित ऊष्मीय ऊर्जा आंखों को गर्म कर देगी । इस तरह सरदर्द और फिर आंखों में समस्या का होना शुरू हो जायेगा।
अगर यह मोबाईल या टीवी का इस्तेमाल हम कुछ उजाले में करते हैं तो बहुत हद तक हम इन परेशानियों से छुटकारा पा सकतें हैं।
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