संभव और असंभव को समझने का सबसे अच्छा तरीका


विश्व की हर बात में ये दोनों शब्द  संभव और असंभव आते ही हैं बल्कि यूँ कहा जाए कि येका होना अनिवार्य है तो बिल्कुल सटीक   होगा। दरअसल दुनियाँ में हर वस्तु के दो पहलू होते हैं जिसे नजरिया भी कहती हैं निचे दिए गए चित्र को देखिये - 


इस चित्र से स्पष्ट है कि बिंग्स वाले की ओर से यह अंक 9 है जबकि दायें वाले की ओर से देखने पर यह 6 दिख रहा है। अब आप केवल सोचिए किधर से यह सही है और किधर से गलत। बाइव्स ओर से नंबर 9 ही संभव है और दिंग्स ओर से 6 संभव है। इस चित्र से यह साफ - स्वच्छ पता चलता है कि अगर दायाँ वाला लड़का बाँये वाले की तरफ आ जाए तो उसे भी यह 6 नहीं बल्कि 9  ही दिखाई देने लगेगा या फिर बायाँ वाला लड़का दायीं तरफ चले तो इसे अब के स्थान: 6 स्वयं दिखाई देने वाला लगेगा।



इसी तरह किसी काम को करना किसी के लिए असंभव है तो किसी दूसरे के लिए संभव भी हो सकता है क्योंकि दूसरा परसन दूसरी तरफ से या दूसरे नजरिए से उस काम को देखता है। इसी तरह से अगर तीसरे और चौथा परसन से उसी काम को करने को कहा जाए तो उनके नजरिए से यह काम कुछ और भी हो सकता है।] इस प्रकार कोई भी काम हर परसन के लिए समान नहीं हो सकता है। जिसके लिए संभव है तो वह संभव कहेगा और जिसके लिए वही काम असंभव है तो असंभव कहेगा। यहाँ पर एक बहुत ही बड़ी सीख हमें मिल रही है और वह यह है कि अगर हम किसी काम को करने जा रहे हैं और किसी भी व्यक्ति या परसन से यह सवाल या उस काम के बारें में कुछ पूछते हैं और वह जो भी कुछ उल्लेख करता है वह है। अपने इंटर आफ व्यू से ही बता देंगे। इसका मतलब यह नहीं है कि आप के लिए भी वही बात लागू होगी जो उसके लिए है। हो सकता है कि आप उसी काम को दूसरे नजरिए से देख रहे हों। उदाहरण के लिए जैसे किसी व्यक्ति ने किसी दूसरे परसन से यह पूछता है कि आप 400 मीटर चौड़ी हैं नदी क्यों नहीं पार कर पाई तो वह अपनी कमजोरी को ऐसे थौपाने की कोशिश करेगा कि जैसे वह कमजोरी आप सभी की ही हो। संभव है कि वह आप सब को भी यह कहती है कि यार कोई भी वह 400 मीटर चौड़ी नदी नहीं पार कर सकता है। लेकिन यह तो केवल उसके लिए सत्य है और बाकी लोगों के लिए अलग है या अलग हो सकता है। क्योंकि बहुत से लोग ऐसे हैं कि जो यह बहुत ही आसानी से कर सकते हैं।

चलिए अब जानते हैं कि किसी भी काम को जो लगभग पूर्ण रूप से असंभव है, जिसे साधारण भाषा में केवल असंभव ही कहा जाता है।  
कौन - सा कार्य संभव है और कौन असंभव यह बात हम करता है ज्यादातर लोगों को पता नहीं होता है। लेकिन आज इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपको यह पता चल जाएगा कि कोई भी कार्य पूर्ण तो असंभव नहीं होता है और ना ही पूर्ण रूप से संभव है।
कैसे और क्यों यह सवाल आपको घेर रहा होगा तो चलिए विस्तार से जानकारी लेते हैं।

दुनियाँ का कोई भी काम संभव और असंभव करने के आधार पर तय होता है। यह कहा जाता है कि कोई भी व्यक्ति मरने के बाद जिन्दा नहीं हो सकता है या साधारण शब्दों में यह कहें कि मरकर जिन्दा होना असंभव है पर दुनियाँ में ऐसे बहुत से लोग हैं जो मरकर भी दोबारा जिन्दा हो गए हैं। यह बात और है कि ऐसा लगभग लाखों और करोड़ों या फिर अरबों में से किसी एक के साथ ऐसा होता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कोई भी व्यक्ति मरकर जिन्दा नहीं हो सकता है।



आज से दो सौ साल पहले कोई व्यक्ति या वैज्ञानिक अगर ऐसा कहा जाएगा तो भविष्य में मनुष्य एक ही स्थान से दुनियाँ के हर कोने में बात कर सकेगा तो इस कथन को बहुत से लोग यह कहकर मना कर देंगे कि यह बिल्कुल असंभव है क्योंकि बिना किसी के तार से वो भी दुनियाँ के किसी भी कोने में बात करना बेआधार है। यह बात उस समय के लिए असंभव ही थी क्योंकि उस समय विज्ञान इतना तेज नहीं था। ठीक इसी तरह अगर अगर आज हम यह कहते हैं कि शायद भविष्य में लकड़ी की राख से दोबारा लकड़ी बनायी जा सके तो आज के समय में इस बात पर भी मजाक बनाया जा सकता है क्योंकि हमारा विज्ञान इतना सक्षम नहीं हुआ है कि लकड़ी की राख से दोबारा लकड़ी बन जाए। प्राप्त किया। मोबाईल फोन से बात करना, हवाई यात्रा करना आदि यह भी किसी जादू की तरह है। लेकिन यह भी एक विज्ञान की ही देन है ना कि कोई जादू। अगर जादू की बात करें तो यह भी विज्ञान का विशेष ज्ञान है जो बहुत कम ही समझ में आता है। अक्सर हमें या लोगों को जो चीजें कुछ समझ में नहीं आती है तो वह जादू कह देते हैं, और जब उसी चीज के बारे में जानकारी हो जाती है तब सामान्य सी घटना लगने लगती है।


आगे आगे जारी है ।।


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