हमारे चारों तरफ बहुत सारी गोल आकार की वस्तुएँ हैं पर क्या हमें इसके बारे में जानकारी है कि आखिर वस्तुएँ क्यों गोल होती हैं। जैसे : गेंद, पानी की बूँदें, वाहनों के पहिये, पृथ्वी, चन्द्रमा, सूर्य आदि ग्रहों की आकृति गोलाकार क्यों है ? वस्तुओं के गोल होने की कई वजह हो सकती हैं पर एक वजह ऐसी है जो लगभग हर वस्तुओं के गोल होने की मुख्य वजह है और वह है संतुलन का होना । भला संतुलन और गोलाकार में क्या सम्बन्ध है। चलिए समझते हैं निम्नलिखित उदाहरणों से -
किसी भी वस्तु के क्षेत्रफल ,उसपे लगने वाला दाब और लगने वाले बल में सम्बन्ध :
दाब = बल / क्षेत्रफल या P = F / A
दाब = बल / क्षेत्रफल या P = F / A
इस सूत्र से स्पष्ट है कि अगर किसी वस्तु पर लगने वाला बल अधिक है या यदि क्षेत्रफल कम है तो दबाव अधिक होगा । चलिए इसके कुछ उदाहरण देखते हैं ।
इसको जानने से पहले हमें यह पता होना चाहिए कि आखिर जल में बुलबुला क्यों बनाता है। जल में किसी कारणवश वायु अथवा गैस जब उत्पन्न होती है तो यह वायु अथवा गैस ( चूँकि वायु अथवा गैस जल से हल्की होती है , इसलिए यह ) ऊपर उठने लगती है।
दरअसल जब वायु अथवा गैस ऊपर उठती है तो जल में बहुत बारीक - बारीक परते होती हैं जो गैस या वायु को रोकने का काम करने लगती हैं। इसलिए यही परतें बुलबुलाें का निर्माण करने लगती हैं ।
अब सवाल यह है कि यह ( बुलबुला ) अर्धगोलाकार रूप ही क्यों लेता है । चूँकि पानी हर जगह पर 360° पर समान दबाव लगाता है इसलिए जब गैस अथवा वायु निचे से ऊपर की तरफ दबाव बनाकर पानी से बाहर निकलती है तो इस पर भी पानी 360° पर यानी चारों तरफ से समान दबाव लगाता है । इसी वजह से बुलबुलाें के निचे वाला हिस्सा खुला होता है और बुलबुले के ऊपरी हिस्से पर परत होने से बन्द होता है, इसलिए बुलबुला अर्धगोलाकार होता है । चूँकि हर प्रकार के आकारों से गोलाकार सबसे कम क्षेत्रफल वाला होता है, तभी तो बुलबुले को पानी से निकलने के लिए ज्यादा बल और दबाव मिलता है ( P = F/A ) और इसी वजह से बुलबुला पानी के बाहर आसानी से आ जाता है । बुलबुले का आकार पानी के दबाव पर निर्भर करता है। अगर बुलबुला पानी के बहुत निचे या अधिक गहराई पर बनता है तो बुलबुला छोटा होगा क्योंकि जितनी ही ज्यादा गहराई उतना ही ज्यादा दबाव होता है और इसी लिए बुलबुला कम गहराई में बड़ा और ज्यादा गहराई में छोटा होता है ।
मेले में जो मौत के कुँए होते हैं वो भी गोलाकार होते हैं । दरअसल गोलाकृति से करतब दिखाने वाले को चारों ओर से समान दबाव मिलता है और गती भी संतुलित होती है । अगर मौत का कुँआ गोल ना होकर थोड़ा सा दबा या उभरा हुआ है तो करतब दिखाने वाले को बहुत परेशानी होगी क्योंकि गाड़ी की गती बहुत तेजी से कम या ज्यादा होने लगेगी जिससे सन्तुलन बिगड़ जायेगा और दुर्घटना होने की संभावना बढ़ जायेगी ।
अगर बाॅलीबाल, फुटबॉल हो या क्रिकेट की गेंद गोल ना होकर थोड़ा चपटा, चौकोर, तिनकोने या किसी अन्य आकार की हो तो निम्नलिखित बातें होंगी -
जल के अन्दर या जल के ऊपर बनने वाला बुलबुला अर्धगोलाकार होता है..
इसको जानने से पहले हमें यह पता होना चाहिए कि आखिर जल में बुलबुला क्यों बनाता है। जल में किसी कारणवश वायु अथवा गैस जब उत्पन्न होती है तो यह वायु अथवा गैस ( चूँकि वायु अथवा गैस जल से हल्की होती है , इसलिए यह ) ऊपर उठने लगती है।
दरअसल जब वायु अथवा गैस ऊपर उठती है तो जल में बहुत बारीक - बारीक परते होती हैं जो गैस या वायु को रोकने का काम करने लगती हैं। इसलिए यही परतें बुलबुलाें का निर्माण करने लगती हैं ।
अब सवाल यह है कि यह ( बुलबुला ) अर्धगोलाकार रूप ही क्यों लेता है । चूँकि पानी हर जगह पर 360° पर समान दबाव लगाता है इसलिए जब गैस अथवा वायु निचे से ऊपर की तरफ दबाव बनाकर पानी से बाहर निकलती है तो इस पर भी पानी 360° पर यानी चारों तरफ से समान दबाव लगाता है । इसी वजह से बुलबुलाें के निचे वाला हिस्सा खुला होता है और बुलबुले के ऊपरी हिस्से पर परत होने से बन्द होता है, इसलिए बुलबुला अर्धगोलाकार होता है । चूँकि हर प्रकार के आकारों से गोलाकार सबसे कम क्षेत्रफल वाला होता है, तभी तो बुलबुले को पानी से निकलने के लिए ज्यादा बल और दबाव मिलता है ( P = F/A ) और इसी वजह से बुलबुला पानी के बाहर आसानी से आ जाता है । बुलबुले का आकार पानी के दबाव पर निर्भर करता है। अगर बुलबुला पानी के बहुत निचे या अधिक गहराई पर बनता है तो बुलबुला छोटा होगा क्योंकि जितनी ही ज्यादा गहराई उतना ही ज्यादा दबाव होता है और इसी लिए बुलबुला कम गहराई में बड़ा और ज्यादा गहराई में छोटा होता है ।
मौत के कुँए की आकृति
बाॅलीबाल, फुटबॉल या क्रिकेट की गेंद का आकार ..
बाॅलीबाल, फुटबॉल हो या क्रिकेट की गेंद अगर गोल ना हो तो क्या होगा ?अगर बाॅलीबाल, फुटबॉल हो या क्रिकेट की गेंद गोल ना होकर थोड़ा चपटा, चौकोर, तिनकोने या किसी अन्य आकार की हो तो निम्नलिखित बातें होंगी -
- बाॅलीबाल, फुटबॉल हो या क्रिकेट की गेंद को जिस भी दिशा में फेंकेंगे वह उस दिशा में नहीं जायेगी ।
- यह अनिश्चितरूप से हवा में मुडे़गी।
- हवा का प्रभाव ( घर्षण ) बहुत अधिक होगा।
बाॅलीबाल, फुटबॉल हो या क्रिकेट की गेंद की तरह ही पृथ्वी, चन्द्रमा , सूर्य आदि ग्रहों का आकार भी गोल होता है और जैसे बाॅलीबाल, फुटबॉल हो या क्रिकेट की गेंद का सन्तुलन बिगड़ जाता है । अगर इनकी आकृति गोल से थोड़ी भी विकृत ( तेड़ी - मेड़ी ) हो जाये ।
गोलाकार आकृति के निम्नलिखित गुण :
- गोलाकार दबाव के लिए सबसे ज्यादा सक्षम होता है।
- गोल आकार की वस्तुओं पर घर्षण बल सबसे कम लगता है।
- गोलाकृति का क्षेत्रफल सभी आकृतियों से कम होता है।
- वातावरणीय दबाव के लिए गोल आकार उपयुक्त होता है।
गोल आकृति के उपयोग
वाहनों के टायर की आकृति
वाहनों के टायर की आकृति गोलाकार होती है जिससे वाहनों की गति का स्थायित्व बन सके। यदि यह गोल ना होकर थोड़ा सा भी उभार हो जाये तो वाहन की गति असंतुलित हो जायेगी। परिणामस्वरूप सड़कों और वाहनों की स्थिति खराब हो जायेगी। इसके अलावा दूर्घटना की संभावना भी बढ़ जाती है ।गति करने वाली वस्तुओं की आकृति गोल होती है या गोल रखा जाता है ...
गति करने वाली वस्तुएं जैसे : सूर्य, पृथ्वी, चन्द्रमा आदि गोल आकार में होती हैं । क्योंकि यही वह आकार है जिसपर वातावरणीय घर्षण बहुत कम लगता है और सन्तुलित गति मिलती है । ईंजन का फ्लाईह्वील ( चक्का ) भी गोल और भारी होता है जिससे सन्तुलित गति मिलती है ।इन सभी उदाहरणों से यह स्पष्ट होता है कि गोलाकार ही सबसे परफैक्ट आकार है।
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