सफलता पाने का जादुई तरिका
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यह बात मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि आज जो लोग भी ऊँचाइयों की सीढियाँ चढ़े हैं उनकी सोंच और ईरादे इतने मजबूत थे कि उन्हें कोई भी सफल होने से नहीं रोक पाया। सफल होने के लिए दो बातें बहुत ज्यादा माईने रखती हैं -
पर समस्या यही है कि हममे से बहुत से लोग ऐसा नहीं कर पाते हैं। पहले मैं भी इस बात को नहीं समझ पाता था कि भला सोचने से कैसे सफलता पाई जाती है । लेकिन बार - बार जब यह बात मेरे पास आयी कि तो मैंने ऐसा सोचना प्रारंभ कर दिया और परिणाम जो मिला मुझे अदंर से हिला कर रख दिया । मैने यह पाया कि हम जो भी कुछ हैं आज वो हमारी सोंच का परिणाम है। यह बात जो मैंने कहा कि " हम जो भी कुछ आज हैं यह सब हमारी सोंच का परिणाम है। " यह बात भगवान महात्मा बुद्ध की है। दोस्तों आप possibilityplus ( संभावना बढ़ाने ) की साईट पर पढ़ रहे हैं जहाँ आपको संभवत: हर समस्या का समाधान मिल सकता है। अगर आप इसे अच्छी तरह से पढ़ लोतो आपको किसी भी काम सफल में होने से कोई नहीं रो पायेगा / पायेगी। दुनिया में कोई काम कठिन है तो वह है अपनी असफलता को लेकर जीना और इसे ही अपनी किस्मत मान लेना कि मैं कुछ भी नहीं कर सकता हूँ। यह एक बहुत ही बडी़ कमी, भ्रामक और शर्मनाक बातें हैं जिन्हें हम अपने अन्दर रखकर बहुत ही गलती करते हैं या यह भी कहूँ कि अपने आपके पैरों पर कुल्हाड़ी मारने के समान है तो यह भी गलत नहीं होगा। जैसा हम सोचते हैं या जैसी हमारी सोंच होती है वैसा ही हमारा व्यवहार भी होने लगता है। तो हमें सबसे पहले अपनी सोंच को ही सही रूप देना होगा तभी कोई बात / काम बनेगा। सारा खेल दिलोदिमाग का है, अगर आप दिलोदिमाग से तैयार हैं तो आप हर काम कर सकते हैं।
यह बात मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि आज जो लोग भी ऊँचाइयों की सीढियाँ चढ़े हैं उनकी सोंच और ईरादे इतने मजबूत थे कि उन्हें कोई भी सफल होने से नहीं रोक पाया। सफल होने के लिए दो बातें बहुत ज्यादा माईने रखती हैं -
- सोंच और
- पक्का ईरादा ।
पर समस्या यही है कि हममे से बहुत से लोग ऐसा नहीं कर पाते हैं। पहले मैं भी इस बात को नहीं समझ पाता था कि भला सोचने से कैसे सफलता पाई जाती है । लेकिन बार - बार जब यह बात मेरे पास आयी कि तो मैंने ऐसा सोचना प्रारंभ कर दिया और परिणाम जो मिला मुझे अदंर से हिला कर रख दिया । मैने यह पाया कि हम जो भी कुछ हैं आज वो हमारी सोंच का परिणाम है। यह बात जो मैंने कहा कि " हम जो भी कुछ आज हैं यह सब हमारी सोंच का परिणाम है। " यह बात भगवान महात्मा बुद्ध की है। दोस्तों आप possibilityplus ( संभावना बढ़ाने ) की साईट पर पढ़ रहे हैं जहाँ आपको संभवत: हर समस्या का समाधान मिल सकता है। अगर आप इसे अच्छी तरह से पढ़ लोतो आपको किसी भी काम सफल में होने से कोई नहीं रो पायेगा / पायेगी। दुनिया में कोई काम कठिन है तो वह है अपनी असफलता को लेकर जीना और इसे ही अपनी किस्मत मान लेना कि मैं कुछ भी नहीं कर सकता हूँ। यह एक बहुत ही बडी़ कमी, भ्रामक और शर्मनाक बातें हैं जिन्हें हम अपने अन्दर रखकर बहुत ही गलती करते हैं या यह भी कहूँ कि अपने आपके पैरों पर कुल्हाड़ी मारने के समान है तो यह भी गलत नहीं होगा। जैसा हम सोचते हैं या जैसी हमारी सोंच होती है वैसा ही हमारा व्यवहार भी होने लगता है। तो हमें सबसे पहले अपनी सोंच को ही सही रूप देना होगा तभी कोई बात / काम बनेगा। सारा खेल दिलोदिमाग का है, अगर आप दिलोदिमाग से तैयार हैं तो आप हर काम कर सकते हैं।
दुनियाँ का हर आदमी सफल है...
जी हाँ दुनियाँ का हर आदमी सफल है अब आप कहोगे कैसे ? तो आगे पढो़ और देखो। हम सभी को यह बात पता है जब कोई बच्चा / बच्ची इस दुनिया में पैदा होता है तो वह पैदा होने तुरन्त बाद ही चलने - फिरने नहीं लगता है। इस समय बच्चे के लिए बैठना और चलना तो बहुत दूर की बात है वह तो अपने शरीर को भी नहीं संभाल पाता है, जबकि उसके पास हाथ - पैर सब मौजूद होता है। इस बात को गहराई से समझने की कोशिश करिए बच्चे के पास वह सभी चीजें मौजूद है फिर भी वह ना तो वह अपने आप को सँभाल सकता है और ना ही चल फिर सकता है । जबकि यही बच्चा कुछ महीनों बाद पहले बैठना शुरू करता है फिर हाथ - पैर की मदत से चलना प्रारंभ करता है। धीरे - धीरे दोनों पैरों से चलने भी लगता है। इसके बाद यही बच्चा जो अपने आप को संभाल नहीं पाता था, ठीक से बैठ नहीं पाता था, अब वह सीर्फ चलता ही नहीं बल्कि दौड़ने और कूदने भी लगता है। बच्चों को यह बात नहीं पता होती है कि उसे कैसे चलना है, कैसे दौड़ना है और अपने आपको कैसे संभालना है। फिर भी वह इन सभी कामों को कर लेता है और यह सब कैसे हुआ। प्रयास ( practice ) एक ऐसी चीजों में से एक है जो हमें हर कामों को करने के लिए अतिआवश्यक है ।
यहाँ पर एक बात पर गौर करने की है, बच्चों को जो चीजें बहुत ही मुश्किल लगती है वही चीजें हमको उतना ही आसान लगती हैं बल्कि यूँ कहें कि यह सब तो हमारे लिए बाँये हाथ के खेल से भी निचे की चीजें हैं। क्योंकि हम इन सीढ़ियों को पार कर ऊपर की सीढियाँ चढ़ रहे होते हैं। बच्चा इसलिए चलना सीख जाता है क्योंकि सभी लोग उसे चलने के लिए उसे छोड़ देते हैं। कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं चाहता है कि कोई भी बच्चा न चले। कुल मिलाकर कहे कि बच्चों के चलने का विरोध कोई नहीं करता है। इसलिए बच्चा चलना सीख जाता है। और जब वही बच्चा बड़ा हो जाता है तो उसे सफल बनाने में बहुत कम लोग ही उसका साथ देते हैं । इस तरह से हर आदमी की पहली सफलता बचपन में चलना - फिरना और बैठना होती है। बच्चा भी लोगों की बातों को अगर उस समय समझ पाता जब वह चलना - फिरना उसके लिए असंभव जैसा होता क्योंकि
अब जब आप बड़े हो गए हो तो यह जरूरी नहीं है कि आपका कोई साथ दे। अब आपको सभी कार्य खुद करना है पर कैसे यह सवाल बार - बार आयेगा जब तक कि आप वह काम कर ना लो।
नोट :
आगे लिखना बाकी है तब तक इसको पढे़ और इसके बारे में कमेंट जरूर करें।
आगे ✍️जारी है...
यहाँ पर एक बात पर गौर करने की है, बच्चों को जो चीजें बहुत ही मुश्किल लगती है वही चीजें हमको उतना ही आसान लगती हैं बल्कि यूँ कहें कि यह सब तो हमारे लिए बाँये हाथ के खेल से भी निचे की चीजें हैं। क्योंकि हम इन सीढ़ियों को पार कर ऊपर की सीढियाँ चढ़ रहे होते हैं। बच्चा इसलिए चलना सीख जाता है क्योंकि सभी लोग उसे चलने के लिए उसे छोड़ देते हैं। कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं चाहता है कि कोई भी बच्चा न चले। कुल मिलाकर कहे कि बच्चों के चलने का विरोध कोई नहीं करता है। इसलिए बच्चा चलना सीख जाता है। और जब वही बच्चा बड़ा हो जाता है तो उसे सफल बनाने में बहुत कम लोग ही उसका साथ देते हैं । इस तरह से हर आदमी की पहली सफलता बचपन में चलना - फिरना और बैठना होती है। बच्चा भी लोगों की बातों को अगर उस समय समझ पाता जब वह चलना - फिरना उसके लिए असंभव जैसा होता क्योंकि
अब जब आप बड़े हो गए हो तो यह जरूरी नहीं है कि आपका कोई साथ दे। अब आपको सभी कार्य खुद करना है पर कैसे यह सवाल बार - बार आयेगा जब तक कि आप वह काम कर ना लो।
जो महसूस करोगे वही होने लगेगा ?
यह बात मैं यूँ ही नहीं कह रहा हूँ बल्कि मैंने अपने जीवन में बार - बार महसूस किया है । अगर आप किसी परिमाण की सोंच रहे हैं तो मैं यह बताने मे खुशी महसूस कर रहा हूँ यह अनमोल वचन भगवान महात्मा बुद्ध जी का है। क्या आपको अभी तक विश्वास नहीं हो रहा है कि यह बात सही है तो चलिए मैं आपको कुछ ऐसे उदाहरणार्थ पेश करने जा रहा हूँ जो आपके विचारों को खोलेगा ही नहीं बल्कि पंख भी दे देगा । इसके लिए निम्नलिखित शर्तें हैं -
- जो भी महसूस करें तो दिलो दिमाग से करें ।
- महसूस करने की ऊर्जा निरन्तर होनी चाहिए।
इन दोनों ही बातों को गहराई से समझते हैं । सोचो कि " मुझे सुबह के 4 , 5, 6 बजे जागना है तो जरूर जागना है। "
यकिन मानिये यह होता है और अगर विश्वास नहीं ह तो इसे आप आजमा सकते हैं । इसे पढ़ने और समझने के लिए यह पोस्ट https://www.possibilityplus.in/2017/02/jab-kabi-hame-kisi-jaruri-kaam-ke-liye.html?m=1.... जागने लिए क्लिक करें।नोट :
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