क्या आपने कभी यह सोचा है कि ज्यादा ठंडे पानी से भरे गिलास के बाहरी तल पर पानी की बूंदें क्यों आ जाती हैं, क्या पानी ज्यादा ठंडा होने के कारण कांच के आरप होने लगता है या ऐसे और अन्य सवाल हो सकते हैं। जब किसी गिलास (काँच की या किसी धातु जैसे एल्युमिनियम, स्टील आदि) में बहुत ठंडा पानी डालते हैं तो गिलास के आन्तरिक और बाहरी सतह पर पानी की बूंदें बनना शुरू हो जाती है।
आपमें से बहुत लोग कहेंगे कि पानी ठंडा होने के कारण ऐसा होता है। यह बात सही है पर इसके पीछे क्या विज्ञान है यह पाना सबके लिए समझना या समझना मुश्किल होता है। यह बात से हमें यह पता चलता है कि पानी के ठंडे होने से ऐसा होता जरूर है पर एक सवाल अब भी हमारे मन में उठता है कि आखिरकार पानी के ठंडा होने पर ही ऐसा क्यों होता है, तो दोस्तों यही सवाल है जो हमें यह बता देता है रहा है कि अब भी ऐसी कोई बात नहीं है जो हमसे छीपी हुई है और इसी के चलते हमारे दिमाग में ऐसा सवाल उठ रहा है। कहने का मतलब यह है कि जब किसी वस्तु की व्याख्या होती है और वह हमारे मन को पूरी तरह संतुष्ट नहीं कर पाती है तो सही तो लगेगी पर पूरी तरह से विश्वास नहीं होता है। इसीलिए हमारे मन में सवाल उठा है।
आपमें से बहुत लोग कहेंगे कि पानी ठंडा होने के कारण ऐसा होता है। यह बात सही है पर इसके पीछे क्या विज्ञान है यह पाना सबके लिए समझना या समझना मुश्किल होता है। यह बात से हमें यह पता चलता है कि पानी के ठंडे होने से ऐसा होता जरूर है पर एक सवाल अब भी हमारे मन में उठता है कि आखिरकार पानी के ठंडा होने पर ही ऐसा क्यों होता है, तो दोस्तों यही सवाल है जो हमें यह बता देता है रहा है कि अब भी ऐसी कोई बात नहीं है जो हमसे छीपी हुई है और इसी के चलते हमारे दिमाग में ऐसा सवाल उठ रहा है। कहने का मतलब यह है कि जब किसी वस्तु की व्याख्या होती है और वह हमारे मन को पूरी तरह संतुष्ट नहीं कर पाती है तो सही तो लगेगी पर पूरी तरह से विश्वास नहीं होता है। इसीलिए हमारे मन में सवाल उठा है।
पानी की बूँदें कहाँ से आती है?
पानी की बूँदें गिलास के बाहरी तल पे कहाँ से आती है। इसके उत्तर हमें ठंड के मौसम में भी मिलता है । यहाँ आपको ठंड के मौसम तक का इंतजार करने की कोई आवश्यकता नहीं है। चलिए समझते हैं। हमारे चारों तरफ वातावरण में पानी वाष्प के रूप में मौजूद है। यह बात और है कि कहीं ज्यादा तो कहीं कम है।इसका भी एक कारण है, जिस जगह पानी के भंडार जैसे कि तालाब, कूँए, नदियाँ ज्यादा है उसके चारों तरफ़ के वातावरण में ज्यादा वाष्प मिलती है और जहाँ पानी की मौजूदगी कम है जैसे कि तालाब, कूँए, नदियाँ बहुत कम है तो उसके उपर बहुत ही कम मात्रा में वाष्प पायी जाती है।
अब वह सवाल जिसका जवाब हम पता करने जा रहे हैं । दरअसल पानी तीन अवस्थाओं में रहता है -
- द्रव अवस्था
- गैसीय अवस्था तथा
- ठोस अवस्था
जब पानी पर सूर्य का प्रकाश पड़ता या पानी ताप किसी भी तरीके से बड़ता है तो पानी के छोटे - छोटे कण वाष्प के रूप में बदलकर ( गैसीय अवस्था ) वातावरण में फैल जाते हैं। अब जैसे ही हम ठंडे पानी से भरे गिलास को रखते हैं तो गिलास के चारों ओर के वातावरण में मौजूद पानी जो कि वाष्प के रूप में है वह अब ठंड के कारण द्रव यानी पानी के रूप में बदलकर गिलास के बाहरी और आंतरिक दोनों तलो पर दिखने लगता है।
जैसे कि चित्र से यह स्पष्ट हो रहा है कि वाष्प को ठंडा किया जाये तो वह पानी की अवस्था में आने लगती है। इसी तरह अगर पानी को एक 0°c तक ठंडा किया जाये तो यही पानी बर्फ़ का रूप लेने लगता है। इसके विपरीत अगर बर्फ को गर्म करें तो यह पानी बनने लगता है और अब अगर इस पानी को गर्म किया जाये तो यह वाष्प ( भाप ) में बदलकर वायुमंडल में फैल जाती है और जब किसी गिलास में ठंडा पानी डाला जाता है तो गिलास के चारों ओर के वायुमंडल में उपस्थित वाष्प ठंड के कारण पानी की बूँदों का रूप लेकर गिलास की सतह पर चिपक जातें हैं । तो यही कारण है कि ठंडे पानी से भरे गिलास के अन्दर और बाहर सभी स्थानों पर पानी की छोटी - छोटी बूँदें जमा होने लगती हैं । ठंड के मौसम में कुहरे बनना, वायुमंडल में वाष्प की उपस्थिति को प्रकट करता है। और यह इसका एक अच्छा उदाहरण है ।
उम्मीद है कि अब आपके इस सवाल का सही जवाब मिल गया है क्योंकि आपके दिल / मन को यह व्याख्या समझ में आ गई होगी। आप अपने अनुभव या आपको कैसा लगा यह पोस्ट हमें कमेन्ट में जरूर बताएं या इससे जुड़े सवाल हो तो वह भी कमेन्ट में जरूर लिखें क्योंकि मेरा मकसद है लोगो की सहायता करना। आपके सुझाव और सवाल मुझे आपके लिए कुछ अधिक करने की प्रेरणा देता है। धन्यवाद...
20 टिप्पणियाँ
Absoluty Right Parfect Reason
जवाब देंहटाएंThank you
Thanks for comment.
हटाएंThanks for comment.
जवाब देंहटाएंAisi hi jaankariyan pane ke liye is sites ko follow kare.
Pani glas ke bahar kaise aata hai jab koi glas me chhidr bhi nahi hota
जवाब देंहटाएंPani glass ke bahar glass ke andar se nahi balki watavaran me maujood jalwasp ke dandha hone par jal choti - choti boodon ka roop leta hai. Aur glass ke bahari hi nahi balki aantrik bhag me bhi aisa hota hai.
हटाएंThanks for comment..
जवाब देंहटाएंVery good👍😇
जवाब देंहटाएंThanks...
हटाएंVery good👍👍
जवाब देंहटाएंaapane mera Confession dur ki,
जवाब देंहटाएंThanks for
It's my pleasure.
हटाएंWow.. such a great information and thank you so much for describe it too clearly ..i had so much comfusions on this topic .. thank you again
जवाब देंहटाएंThanks bro..
हटाएंऐसी जानकारियाँ पढ़ने या पूछने के लिए possibilityplus.in जरूर सर्च करें।
Ok
जवाब देंहटाएंAapne sahi kaha hai, par ak Chhota sa sak hai, glass ke body par pani ki jitni matra, eatne kam samy par ban jata hai, uatna pani watawaran se le pana sambhaw nahi lagta, kya easme glass ke pani ki v koe bhagidari hoti hai.
जवाब देंहटाएंpless comment.
Comment karne ke liye Thanks. Ye pani ki boonde watavaran se hi banti hai. Isaka sabse accha example jade ( December to February ) ke kmausam me dekhne ko mil jata hai. Jise ham kohra ya wos ya seetlahar bhi kahte hain. Ye sab pani ki boode watavaran se hi ati hain.
हटाएंSardi main windows ke aandar ki taraf pani ki bunde Kyo hoti hai wo bhi aadhi window par na ki puri window par hoti hai? ?????
जवाब देंहटाएंAisa isliye hota hai kyuki jalwasp wali hawa windo ke jis taraf se hokar jaati hai waha par chipak jati hai jaise agar ham sardi ke mausam me muha se hawa jis taraf nikale waha jalwasp jal ke rup me aa jatihai.
हटाएंBahut achha samajha
जवाब देंहटाएंya hai
Thanks for comment
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