विज्ञान एक रूचिकर विषय है जो हमारे मन को प्रभावित करता है और हर किसी के मन में विज्ञान को समझने की उत्सुकता जरूर होती है। हम सभी को यह पता है कि विज्ञान के क्षेत्र में बहुत ज्यादा संभावना है करियर बनाने के लिए । इस विषय को समझना बहुत आसान है अगर आप कुछ तरीकों को अपनाये वो तरीका हम जानेंगे इस पोस्ट के द्वारा ।
क्या आप जानते हैं कि जब किसी जगह जब रात में पटाखे फोडे़ जाते हैं तो पटाखे की आवाज कुछ बाद में सुनाई पड़ती है, जबकि प्रकाश ( उजाला ) तुरंत दीख जाता है । ये भी एक विज्ञान का सवाल है दरअसल विज्ञान तो हर चीज यानी वस्तु में है। बहुतों ने सोचा होगा, पर कुछ लोगों को ही इस सवाल का जवाब पता होगा। अगर आपको नहीं पता था तो इस पोस्ट में कारण सहित बताऊँगा । सिर्फ ध्यान से पढ़ना इस पोस्ट को प्रकाश और ध्वनि दोनों ही अलग - अलग प्रकार की ऊर्जा हैं और दोनों ही विभिन्न प्रकार के क्रियाकलापों से उत्पन्न होते हैं। अतः इनकी विशेषताओं में अन्तर होता है, और अब वह गुण जो यह सवाल पैदा कर रहा है कि आखिर क्यों पटाखे फटने पर प्रकाश पहले और इसकी आवाज बाद में सुनाई पड़ती है। इन दोनों की चाल ( मतलब 1 सेकेंड में कितनी दूरी तय करते हैं। ) में अन्तर होने के कारण ऐसा होता है।
प्रकाश की चाल ( c ) = 3 × 108मीटर / सेकेंड
और ध्वनि की चाल = 300 मीटर / सेकेंड
क्या आप जानते हैं कि जब किसी जगह जब रात में पटाखे फोडे़ जाते हैं तो पटाखे की आवाज कुछ बाद में सुनाई पड़ती है, जबकि प्रकाश ( उजाला ) तुरंत दीख जाता है । ये भी एक विज्ञान का सवाल है दरअसल विज्ञान तो हर चीज यानी वस्तु में है। बहुतों ने सोचा होगा, पर कुछ लोगों को ही इस सवाल का जवाब पता होगा। अगर आपको नहीं पता था तो इस पोस्ट में कारण सहित बताऊँगा । सिर्फ ध्यान से पढ़ना इस पोस्ट को प्रकाश और ध्वनि दोनों ही अलग - अलग प्रकार की ऊर्जा हैं और दोनों ही विभिन्न प्रकार के क्रियाकलापों से उत्पन्न होते हैं। अतः इनकी विशेषताओं में अन्तर होता है, और अब वह गुण जो यह सवाल पैदा कर रहा है कि आखिर क्यों पटाखे फटने पर प्रकाश पहले और इसकी आवाज बाद में सुनाई पड़ती है। इन दोनों की चाल ( मतलब 1 सेकेंड में कितनी दूरी तय करते हैं। ) में अन्तर होने के कारण ऐसा होता है।
प्रकाश की चाल ( c ) = 3 × 108मीटर / सेकेंड
और ध्वनि की चाल = 300 मीटर / सेकेंड
अब आप ही सोचो जरा इतना ज्यादा प्रकाश की चाल है कि ध्वनि की चाल इसके आगे मामुली है तो स्पष्ट है कि इसी कारण से प्रकाश पहले दीख जाता है।
विज्ञान को समझने का सबसे अच्छा तरीका है सूत्र। जी हाँ विज्ञान को समझने का सबसे अच्छा तरीका है कि विज्ञान के सूत्रों से विज्ञान को बहुत आसानी से समझा जा सकता है। सूत्रों की विशेषता बहुत ही अधिक है क्योंकि यह सूत्र इतनी आसानी से नहीं मिले हैं । इनकी उपयोगिता इस बात से पता चलती है कि इनको प्राप्त करने के लिए बहुत प्रयोग किया जाता है और तब जाकर के बनते या ये मिले हैं। सूत्रों की मदत से गणित के सवाल हल किए जाते हैं और देखा जाए तो गणित के ज्ञान के बिना विज्ञान को समझना बहुत मुश्किल है और शायद तभी तो एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक ने गणित को विज्ञान की जननी बताया। सूत्रों की निम्नलिखित विशेषता है ं-
चलिए हम इसको कुछ उदाहरणों की मदत से समझते हैं।
प्रश्न 2. किस स्थिति में गतिज ऊर्जा शून्य ( Zero ) होती है ? या गतिज ऊर्जा शून्य होने के कारण बताओ।
उत्तर - गतिज ऊर्जा दो कारणों से शून्य हो सकती है-
गतिज ऊर्जा का सूत्र K = mv2/ 2 से
माना द्रव्यमान ( m ) = 0 किग्रा तथा वेग ( v ) = v मीटर / सेकेंड2 इस सूत्र K = mv2/ 2 में दोनों मानों को रखने पर -
K = 0 × v2/ 2
K = 0
इसी प्रकार अगर वेग ( v ) = 0 है तो भी गतिज ऊर्जा शून्य ही होगी। क्योंकि किसी भी संख्या में अगर शून्य का गुणा किया जाये तो पूरा मान शून्य हो जाता है। इसलिए m या v में से कोई भी मान शून्य हो तो गतिज ऊर्जा शून्य ही होगी ।
इसी प्रकार इस सूत्र से संबंधित लगभग हर प्रश्न का उत्तर निकाल या पता कर सकते हैं।
अब हम बल के बारे में कुछ सवालों के जवाबों को जानेंगे। इससे पहले हमें बल की परिभाषा को जानना जरूरी है।
बल ( Force ) - बल वह बाह्य ( बाहरी ) कारक है जो किसी वस्तु पर लगाने पर वस्तु की स्थिति को बदल देता है अथवा बदलने का प्रयास करता बल (Force) कहलाता है ।
सूत्र - F = mg
जहाँ " F" बल, " m" द्रव्यमान और " g " वस्तु में उत्पन्न त्वरण है।
अब इससे संबंधित क्या - क्या प्रश्न बन सकते हैं देखिये -
प्रश्नोत्तर 1. सूत्र अगर वस्तु में उत्पन्न त्वरण शून्य हो तो बल शून्य माना जायेगा क्योंकि वस्तु के त्वरण (g) और द्रव्यमान ( m ) का गुणनफल शून्य होता है। अतः परिणामी बल शून्य होता है । परिभाषा के अनुसार बल वस्तु की स्थिति बदल देता है या बदलने का प्रयास करता है । अगर देखा जाए तो बल तो लगता है परन्तु कोई विस्थापन या परिवर्तन न होने के कारण परिणाम बल शून्य ही रहता है। अतः बल को इस दशा में शून्य कहना सही होता है।
अब इसमें एक स्थिति और है अगर वस्तु का द्रव्यमान शून्य कर दिया जाये तो भी बल शून्य हो जायेगा। जब वस्तु का द्रव्यमान शून्य हो जाता है तो ना तो वस्तु में त्वरण रहेगा और नाहीं वस्तु पर कोई बल लगेगा। इस प्रकार दो स्थितियों में बल शून्य हो सकता है।
प्रश्नोत्तर 2. वस्तु का त्वरण तब शून्य होता है जब वस्तु पर लगाया गया परिणामी बल शून्य हो। मतलब यह कि वस्तु पर तो बल लगाया जा रहा है पर इसमें कोई विस्थापन या गति नहीं हो रही है। चूंकि हम जानते हैं कि वेग परिवर्तन की दर को त्वरण कहते हैं। इसलिए इस स्थिति में त्वरण और बल दोनों ही शून्य रहेगें।
प्रश्नोत्तर 3. इसमें पूछा गया है कि क्या वस्तु का त्वरण बढाया और घटाया जा सकता है। तो इसका उत्तर " हाँ " है। पर कैसे ऐसा एक प्रश्न और आ जाता है पर हम जानते हैं कि यह सब प्रश्न सूत्र की सहायता से जान सकते हैं । हम जानते हैं कि सूत्र - F = mg
या g = F / m सूत्र से स्पष्ट हो रहा है कि F का का मान जितना अधिक होगा , g का मान भी बढेगा और ठीक इसके विपरीत ( उल्टा ) F का का मान जितना कम होगा , g का मान भी कम होगा। अतः हम यह कह सकते हैं कि g का मान F के मान पर निर्भर करता ( depend ) है।
आगे जारी.. . ✍️ है।
- इसकी सहायता से परिभाषा बनाई जाती है।
- लगभग सभी सवालों के जवाब आसानी से मिल जाते हैं।
- अधिकांशतः प्रश्नों के उत्तर याद करने की जरूरत नहीं होती।
- वैज्ञानिक अनुसंधानो में विशेष भूमिका होती है सूत्रों की।
चलिए हम इसको कुछ उदाहरणों की मदत से समझते हैं।
गतिज ऊर्जा का सूत्र K = mv2/ 2
प्रश्न 1. क्या करें कि गतिज ऊर्जा दोगुनी हो जाये । उत्तर - गतिज ऊर्जा ( सूत्र से ) दोगुनी करने के लिए हमें द्रव्यमान को दोगुना करना होगा।
उत्तर - गतिज ऊर्जा दो कारणों से शून्य हो सकती है-
- द्रव्यमान शून्य हो। या
- वेग शून्य हो।
गतिज ऊर्जा का सूत्र K = mv2/ 2 से
माना द्रव्यमान ( m ) = 0 किग्रा तथा वेग ( v ) = v मीटर / सेकेंड2 इस सूत्र K = mv2/ 2 में दोनों मानों को रखने पर -
K = 0 × v2/ 2
K = 0
इसी प्रकार अगर वेग ( v ) = 0 है तो भी गतिज ऊर्जा शून्य ही होगी। क्योंकि किसी भी संख्या में अगर शून्य का गुणा किया जाये तो पूरा मान शून्य हो जाता है। इसलिए m या v में से कोई भी मान शून्य हो तो गतिज ऊर्जा शून्य ही होगी ।
इसी प्रकार इस सूत्र से संबंधित लगभग हर प्रश्न का उत्तर निकाल या पता कर सकते हैं।
अब हम बल के बारे में कुछ सवालों के जवाबों को जानेंगे। इससे पहले हमें बल की परिभाषा को जानना जरूरी है।
बल ( Force ) - बल वह बाह्य ( बाहरी ) कारक है जो किसी वस्तु पर लगाने पर वस्तु की स्थिति को बदल देता है अथवा बदलने का प्रयास करता बल (Force) कहलाता है ।
सूत्र - F = mg
जहाँ " F" बल, " m" द्रव्यमान और " g " वस्तु में उत्पन्न त्वरण है।
अब इससे संबंधित क्या - क्या प्रश्न बन सकते हैं देखिये -
- वह स्थिति बताईए जब बल शून्य हो सकता है ।
- वस्तु का त्वरण कब शून्य होता है ।
- क्या वस्तु का त्वरण बढाया और घटाया जा सकता है ?
- त्वरण किसे कहते हैं ?
- क्या त्वरण का मान त्वरण बल के बराबर हो सकता है। कैसे बताईये ?
- क्या द्रव्यमान का भी मान बल के बराबर हो सकता है। इत्यादि ऐसे अनेक प्रश्नों के उत्तर इस सूत्र से बनाया और निकाला जा सकता है।
प्रश्नोत्तर 1. सूत्र अगर वस्तु में उत्पन्न त्वरण शून्य हो तो बल शून्य माना जायेगा क्योंकि वस्तु के त्वरण (g) और द्रव्यमान ( m ) का गुणनफल शून्य होता है। अतः परिणामी बल शून्य होता है । परिभाषा के अनुसार बल वस्तु की स्थिति बदल देता है या बदलने का प्रयास करता है । अगर देखा जाए तो बल तो लगता है परन्तु कोई विस्थापन या परिवर्तन न होने के कारण परिणाम बल शून्य ही रहता है। अतः बल को इस दशा में शून्य कहना सही होता है।
अब इसमें एक स्थिति और है अगर वस्तु का द्रव्यमान शून्य कर दिया जाये तो भी बल शून्य हो जायेगा। जब वस्तु का द्रव्यमान शून्य हो जाता है तो ना तो वस्तु में त्वरण रहेगा और नाहीं वस्तु पर कोई बल लगेगा। इस प्रकार दो स्थितियों में बल शून्य हो सकता है।
प्रश्नोत्तर 2. वस्तु का त्वरण तब शून्य होता है जब वस्तु पर लगाया गया परिणामी बल शून्य हो। मतलब यह कि वस्तु पर तो बल लगाया जा रहा है पर इसमें कोई विस्थापन या गति नहीं हो रही है। चूंकि हम जानते हैं कि वेग परिवर्तन की दर को त्वरण कहते हैं। इसलिए इस स्थिति में त्वरण और बल दोनों ही शून्य रहेगें।
प्रश्नोत्तर 3. इसमें पूछा गया है कि क्या वस्तु का त्वरण बढाया और घटाया जा सकता है। तो इसका उत्तर " हाँ " है। पर कैसे ऐसा एक प्रश्न और आ जाता है पर हम जानते हैं कि यह सब प्रश्न सूत्र की सहायता से जान सकते हैं । हम जानते हैं कि सूत्र - F = mg
या g = F / m सूत्र से स्पष्ट हो रहा है कि F का का मान जितना अधिक होगा , g का मान भी बढेगा और ठीक इसके विपरीत ( उल्टा ) F का का मान जितना कम होगा , g का मान भी कम होगा। अतः हम यह कह सकते हैं कि g का मान F के मान पर निर्भर करता ( depend ) है।
आगे जारी.. . ✍️ है।
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