पहले की भाँती मैं एक और ऐसी जानकारी लेकर आया हूँ जिसे पढ़कर आपको अच्छा जरूर लगेगा । दरअसल मैं अपने आर्टिकल में ऐसी मनोरंजक और विज्ञान से भरपूर जानकारी ही ज्यादा share करता हूँ जिससे मनोरंजन के साथ - साथ ज्ञान का लूफ्त भी मिल सके।
इस आर्टिकल में आप जानेंगे कि कैसे और क्यूँ गिलास का पानी गिलास के ऊल्टा होने पर भी नहीं गिरता है जबकि गिलास के मुँह पर पेपर गिलास को ऊल्टा करते समय दबाकर रखा जाता है और उसके बाद उसे छोड़ दिया जाता है और छोड़ने के बाद पेपर गिलास के पूरे पानी को रोक देता है ।
क्या आप जानते हैं कि पानी से भरे गिलास को ऊल्टा करने से भी क्यों पानी नहीं गिरता है जबकि गिलास को ऊल्टा करने से पहले गिलास के मुँह पर एक पेपर लगना पड़ता है जो कि गिलास से भरे पानी के भार या लोड को नहिं सह सकता , फिर भी रोक लेता है गिलास के पुरे पानी को । ऐसा क्या कारण है , यह विज्ञान की एक मजे़दार और इन्ट्रेस्टींग जानकारी है ।
मैं यह जानकारी इसलिए share कर या बता रहा हूँ क्योंकि मैं अपने ज्ञान को अधिक - से - अधिक लोगो तक पहुँचाना चाहता हूँ क्योंकि ज्ञान तभी सार्थक होता है जब उसे दुसरों में बाँटा जाये । सो इस बात को छोड़िए अब जानते हैं पुरी जानकारी कि कैसे एक हल्का - सा पेपर भी पुरे गिलास का पानी रोक लेता है जब गिलास को ऊल्टा किया जाता है ।
तो चलिए सुरु करते हैं - गिलास को जब ऊल्टा किया जाता है तो गिलास के तली का पानी गिलास की मुँह की तरफ जाता है और इस दौरान गिलास की तली में कुछ वायु ( हवा ) प्रवेश कर जाती है और इसी के साथ गिलास के मुँह पर लगा कागज ( पेपर ) पुरी तरह से गिलास के मुँह को सील कर लेता है ( गिलास को ऊल्टा करते समय कागज या पेपर को गिलास के मुँह पर दबाये हुए रखना पड़ता है ) । जैसा कि आपने उपर पढा़ है कि जब गिलास को ऊल्टा किया जा रहा था तो पानी को निचेे आने के लिए कुछ हवा गिलास के तली में चढ़ती है तो स्पष्ट है कि अब पानी को और निचे सरकने या गिरने के लिए कुछ और हवा कि जरूरत पढ़ती है मगर अब तो पेपर के कारण गिलास में कोई हवा नहीं प्रवेश कर पाती है । सो इसलिए पानी गिलास से बाहर नहीं आ पाता है ।
अगर आपको उपर बतायी गयी बात सही से या स्पष्ट नहीं हुयी हो तो कोई बात नहिं यहाँ आपको ऐसा उदाहरण दिया जा रहा है जिससे आपको लगभग बात तो समझ में आ ही जायेगी । दरअसल हमारा प्रयास सदा यही होता है कि किसी भी जानकारी को एक से अधिक उदाहरणो से समझाया जाये।
ये बात बिल्कूल उसी तरह है जैसे कि एक पतली - सी पाईप नारियल में डालकर पीया जाता है । क्या आपने सोचा है नारियल पानी नारियल से निकलकर मुँह में कैसे चला जाता है । यह बात तो सभी लोग जानते हैं कि मुँह के द्वारा सांस अन्दर की तरफ खींचने पर पाईप के जरिए मुँह में नारियल पानी आता है ।
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अब जानते हैं विज्ञान की भाषा में - दरअसल होता क्या है कि जब नारिल के गोले में एक पतला - सा पाईप जब डालते हैं तो पाईप का एक सिरा जो पानी ( नारियल पानी ) में है वो पुरी तरह सील हो जाता है और जब मुँह से सांस खींचा जाता है तो नारियल पानी पाईप में ऊपर कि तरफ चढ़ने लगता है क्योंकि पाईप के ऊपरी सिरे में वायु का दबाव कम होने लगता है । यहाँ पे विज्ञान एक और घटना होती है ।
अगर आप एक पतली सी पाईप ( जैसे - पेन की पाईप ) को जब किसी पानी या तरल पदार्थ में एक सिरा डूबोया जाता है तो आप देखोगे कि पानी पाईप में कुछ ऊपर चढा़ हुआ मिलेगा ।
ये इसलिए होता है कि पाईप में वायुदाब कुछ कम होता है। ठीक इसी तरह जब गिलास के मुँह पर पानी आता है तो गिलास के मुँह पर लगा पेपर सील होने के कारण अन्दर कोई वायु नहीं जा पाती है जिसके कारण पानी का दबाव और गिलास में मौजूद हवा का दबाव दोनो बराबर हो जाता है । अत: स्पष्ट है कि वायुदाब के कारण गिलास का पानी रूक जाता है ऊल्टा करने के बावजूद ।
आशा है ये पोस्ट आपको पसन्द आयी होगी , धन्यवाद !
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